Hindi, asked by 998638, 5 months ago

आज हर आदमी संदेह की नजर से क्यों देख रहा है​

Answers

Answered by sandipandeka001
1

Answer:

HEY MATE

HERE'S YOUR ANSWER

हर व्यक्ति दूसरे व्यक्ति को शक की नज़रसे देखता है क्योंकि उसे उस पर विश्वास ही नहीं रह गया है। जो जितने ऊँचे पद पर है उस पर हम विश्वास नहीं कर सकते है क्योंकि उसने कर्म ही ऐसे किये है कि लोग उस पर विश्वास ही नहीं करते है, हमेशा उनके दोष ही दिखाई देते है । जब उनकी किसी के साथ मुलाकात हुई थी, उन्होंने अपने विचार प्रस्तुत किये थे कि इस समय सुखी वही है जो कुछ नहीं करता, अर्थात् किसी भी बात पर अपना पक्ष नहीं रखता या किसी से कोई व्यवहार नहीं रखता वही व्यक्ति इस दुनिया में सुखी है।

हर व्यक्ति दूसरे व्यक्ति को शक की नज़रसे देखता है क्योंकि उसे उस पर विश्वास ही नहीं रह गया है। जो जितने ऊँचे पद पर है उस पर हम विश्वास नहीं कर सकते है क्योंकि उसने कर्म ही ऐसे किये है कि लोग उस पर विश्वास ही नहीं करते है, हमेशा उनके दोष ही दिखाई देते है । जब उनकी किसी के साथ मुलाकात हुई थी, उन्होंने अपने विचार प्रस्तुत किये थे कि इस समय सुखी वही है जो कुछ नहीं करता, अर्थात् किसी भी बात पर अपना पक्ष नहीं रखता या किसी से कोई व्यवहार नहीं रखता वही व्यक्ति इस दुनिया में सुखी है।जो कुछ भी करेगा उसमें लोग दोष खोजने लगेंगे। उसके सारे गुण भुला दिए जाएँगे और दोषों को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया जाने लगेगा। दोष किसमें नहीं होते? यही कारण है कि हर आदमी दोषी अधिक दिख रहा है, गुणी कम या बिलकुल ही नहीं।

Explaination :

अगर वास्तव में ही दुनिया में, समाज में यही स्थिति देखने को मिल रही है तो चिंता का विषय है। इस पर सोच विचार किया जाना चाहिए । अपने व्यवहार में किसी तरह का बदलाव लाना चाहिए । क्या इसी भारतवर्ष की कल्पना हमारे महान नेताओं ने की थी, जिसका सपना गंगाधर तिलक और महात्मा गाँधी ने देखा था? लेखक ने आजकल भारत की स्थिति के बारे में सवाल उठाया है कि यह गांधी का भारत है, क्या यह गंगाधर तिलक का भारत है । ऐसा लगता है कि पुराने समय में जो इंसानियत मानवता बची थी, जो संस्कृति हमारी बची थी, वो अब कहीं दिखाई नहीं देती है । मदनमोहन मालवीय और ऐसे महान नेताओं का भारतवर्ष आज कहीं अतीत में गहरे गड्ढ़े में डूब गया मालूम होता है।

PLEASE MARK AS BRAINLIEST ANSWER

Similar questions