आज ईमानदारी को मूखता का पयाय कयो माना जाता है ? कया यह सोच सही है?
sanugamu:
srry it is of hindi
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यह कथन बिल्कुल निःसंदेह सही है परंतु यह सोच सही नही है। आजकल ईमानदारी को मूर्खता का पर्याय ही माना जाता है। लोगो के अनुसार एक ईमानदार व्यक्ति से बड़ा मूर्ख कोई नही। परंतु यह जरूरी नही की जो लोग कहे वह सही हो!
आजकल लोगो का दृष्टिकोण यह हो गया है कि पहले अपना, फिर परिवार का सपना साकार करें। लोगो के दृष्टिकोण में अन्य लोगों का कोई स्थान नही रहा है। ऐसे दृष्टिकोण से कुरीतियां को ही बढ़ावा मिलता है।
अगर कोई मनुष्य ईमानदार है और रिश्वत नही लेता है, अपने कर्म को निष्ठा से पूरा करता है तो जाहिर है कि ये उसका सद्गुण है परंतु लोगो के अनुसार ये मूर्खता से बढ़कर कुछ नही है। ऐसी सोच केवल इसलिए बढ़ पाई है क्योंकि लोगो के अंदर मानवता नही बची है। लोगों के अनुसार एक ईमानदार व्यक्ति न खुद को और न ही अपने परिवार को सुखी जीवन दे सकता है। ऐसा सिर्फ इसलिए क्योंकि आजकल जो ईमानदार है उसके साथ समाज के अमीर परंतु बेइमान लोगों द्वारा अत्याचार किया जाता है। इन्ही कारणों से ईमानदारी केवल मूर्खता का पर्याय बन गई है।
ऐसी सोच कदापि सही नही है क्योंकि ऐसा करने से केवल सामाजिक बुराइयों को बढ़ावा मिलता है। ऐसा दृष्टिकोण रखने से लोगों के अंदर केवल अपना पेट भरने की भावना जागृत होगी जो कि देश के विकास में बाधक बनकर सामने आएगी।
अतएव लोगों के अंदर ईमानदारी के गुण आने अत्यावश्यक है। ऐसा केवल अच्छे संस्कारो, अच्छी संगत और जागरूकता फैलाने से ही संभव है।
(अपील :- आशा है आप सभी पाठकगण भविष्य में ईमानदारी को मूर्खता का पर्याय देकर मूर्खों वाला कार्य ना करके ईमानदार बनेंगे)
धन्यवाद।
आजकल लोगो का दृष्टिकोण यह हो गया है कि पहले अपना, फिर परिवार का सपना साकार करें। लोगो के दृष्टिकोण में अन्य लोगों का कोई स्थान नही रहा है। ऐसे दृष्टिकोण से कुरीतियां को ही बढ़ावा मिलता है।
अगर कोई मनुष्य ईमानदार है और रिश्वत नही लेता है, अपने कर्म को निष्ठा से पूरा करता है तो जाहिर है कि ये उसका सद्गुण है परंतु लोगो के अनुसार ये मूर्खता से बढ़कर कुछ नही है। ऐसी सोच केवल इसलिए बढ़ पाई है क्योंकि लोगो के अंदर मानवता नही बची है। लोगों के अनुसार एक ईमानदार व्यक्ति न खुद को और न ही अपने परिवार को सुखी जीवन दे सकता है। ऐसा सिर्फ इसलिए क्योंकि आजकल जो ईमानदार है उसके साथ समाज के अमीर परंतु बेइमान लोगों द्वारा अत्याचार किया जाता है। इन्ही कारणों से ईमानदारी केवल मूर्खता का पर्याय बन गई है।
ऐसी सोच कदापि सही नही है क्योंकि ऐसा करने से केवल सामाजिक बुराइयों को बढ़ावा मिलता है। ऐसा दृष्टिकोण रखने से लोगों के अंदर केवल अपना पेट भरने की भावना जागृत होगी जो कि देश के विकास में बाधक बनकर सामने आएगी।
अतएव लोगों के अंदर ईमानदारी के गुण आने अत्यावश्यक है। ऐसा केवल अच्छे संस्कारो, अच्छी संगत और जागरूकता फैलाने से ही संभव है।
(अपील :- आशा है आप सभी पाठकगण भविष्य में ईमानदारी को मूर्खता का पर्याय देकर मूर्खों वाला कार्य ना करके ईमानदार बनेंगे)
धन्यवाद।
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