Hindi, asked by chahatkashyap1090, 7 months ago


आज जिसे हम बहुमूल्य संस्कृति मान रहे हैं, वह क्या ऐसी ही बनी रहेगी?
सम्राटों, सामन्तों ने जिस आचार निष्ठा को इतना मोहक और मादक रूप दिया
था, वह लुप्त हो गयी। धर्माचार्यों ने जिस ज्ञान और वैराग्य को इतना महार्घ
समझा था वह लुप्त हो गया। मध्य युग के मुसलमान रईसों के अनुकरण पर
जो रस राशि उमड़ी थी, वह वाष्प की भांति उड़ गयी क्या यह मध्य युग के
कंकाल में लिखा हुआ व्यावसायिक गुण का कमल ऐसा ही बना रहेगा?
महाकाल के प्रत्येक पदाघात में धरती धसकेगी। उसके कुण्ठ नृत्य की प्रत्येक
चारिका कुछ न कुछ लपेटकर ले जायेगी। यह बदलेगा सब विकृत होगा- सब
नवीन बनेगा।
1) उपर्युक्त गद्यांश का सन्दर्भ लिखिए।
2) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।
3) हम आज की संस्कृति को बहुमूल्य क्यों मान रहे हैं?
4) प्रस्तुत गद्यांश में किसके लुप्त होने की बात कही गयी?
८​

Answers

Answered by kumarsumit121187
2

Answer:

आज जिसे हम बहुमूल्य संस्कृति मान रहे हैं, वह क्या ऐसी ही बनी रहेगी? सम्राटों, सामन्तों ने जिस आचार निष्ठा को इतना मोहक और मादक रूप दिया था, वह लुप्त हो गयी। धर्माचार्यों ने जिस ज्ञान और वैराग्य को इतना महार्घ15 mins ago

Answered by shishir303
2

1) उपर्युक्त गद्यांश का सन्दर्भ लिखिए।

उत्तर : उपर्युक्त गद्यांश का संदर्भ इस प्रकार है..

संदर्भ : यह गद्यांश आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी द्वारा लिखे गए निबंध अशोक के फूल का एक भाग है। इस गद्यांश के माध्यम से लेखक ने सभ्यता एवं संस्कृति के निरंतर परिवर्तनशील होने का विवेचन किया है।

2) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।

उत्तर : इसमें कोई रेखांकित अंश नहीं दिख रहा है इसलिए पूरे गद्यांश का की व्याख्या इस प्रकार है...

व्याख्या : लेखक का कहना है कि जिस संस्कृति को हम बहुमूल्य मान रहे हैं, वह सदैव ऐसी नहीं बनी रहेगी संस्कृति में निरंतर परिवर्तन होता रहता है। प्राचीन काल में सम्राट और सामंतों ने जिस संस्कृति को मोहक और मादक रूप दिया आज वह संस्कृति गायब हो चुकी है। जिस संस्कृति को ऋषि-मुनियों ने ज्ञान वैराग्य का रूप दिया वह भी लुप्त हो गई। मुस्लिम आक्रांताओं ने अमीरी का रूप दिया वह संस्कृति विलुप्त हो गई यानी संस्कृति निरंतर परिवर्तनशील है और आगे भी परिवर्तित होती रहेगी।

3) हम आज की संस्कृति को बहुमूल्य क्यों मान रहे हैं?

उत्तर : हम आज की संस्कृति को बहुमूल्य इसलिए मान रहे हैं क्योंकि हम समझते हैं हमारी संस्कृति हमेशा ऐसी ही बनी रहेगी और कभी परिवर्तित नहीं होगी।

4) प्रस्तुत गद्यांश में किसके लुप्त होने की बात कही गयी?

उत्तर : इस गद्यांश में संस्कृति के लुप्त होने की बात की गई है। प्राचीन समय की अनेक संस्कृतियों लुप्त हो चुकी हैं।

#SPJ3

Learn more:

हजारी प्रसाद द्विवेदी किस युग के निबंधकार हैं

https://brainly.in/question/10296166

उपन्यास विधा पर आधारित रचना है-

(i) स्कन्दगुप्त

(ii) गोदान

(iii) अशोक के फूल

(iv) चिन्तामणि

https://brainly.in/question/35152753

Similar questions