आज जीत के रात
पहरुए. सावधान रहना।
खुले देश के द्वार
अचल दीपक समान रहना।
ऊँची हुई मशाल हमारी
आगे कठिन डगर है।
शत्रु हार गया लेकिन उसकी
छायाओं का डर है।
शोषण से है मृत समाज
कमजोर हमारा घर है।
किन्तु आ रही नई जिन्दगी
यह विश्वास अपर है।
जन गंगा में ज्वार
लहर तुम प्रवद्यमान रहना,
उचित विकल्प द्वारा उत्तर चुनिए-
प्रश्न-1 पहरूए का शाब्दिक अर्थ है-
(ख) पहरेदार से
(ग) सरकार से (घ) पुलिस से
प्रश्न-2 अचलदीपक समान में रहना मे अलंकार है-
(क) रूपक अलकार (ख) यमक अलंकार
(ग) अपमा अलंकार (घ) अनुप्रास अलंकार
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nahi pata mujhe ghfeireisgejdtsvdah
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