Hindi, asked by ayushukeypm2006, 6 months ago

"आज जीत के रात,
पहरूए, सावधान रहना।
खुले देश के द्वार,
अचल दीपक समान रहना।
ऊँची हुई मशाल हमारी,
आगे कठिन डगर है।
शत्रु हार गया, लेकिन उसकी,
छायाओं का डर है।
शोषण से है
मृत समाज,
कमजोर हमारा घर है।
किन्तु आ रही नई जिन्दगी,
यह विश्वास अपर है।
जन गंगा में ज्वार,
लहर तुम प्रवद्यमान रहना,
पहरूए सावधान रहना


प्रश्न-4 'जन गंगा में ज्वार से क्या अभिप्राय है?​

Answers

Answered by pramodchandel575
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जन गंगा में ज्वार से कवि का अभिप्राय गतिशीलता से है हमे हमेशा गतिशील रहना चाहिए जिस प्रकार समुद्र में लहरे चलती रहती है उसी तरह हमे गतिशील रहना चाहिये ।

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