"आज जीत के रात,
पहरूए, सावधान रहना।
खुले देश के द्वार,
अचल दीपक समान रहना।
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आज जीत की रात है इसलिए दुश्मन सावधान हो गया जैसे देश के द्वार दीपक के जैसे होते हैं
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