आज के अनेक आर्थिक और सामाजिक विधानों की हम जाँच करें, तो पता चलेगा कि वे हमारी सांस्कृतिक चेतना के क्षीण होने के कारण युगानुकूल परिवर्तन और परिवर्द्धन की कमी से बनी हुई रूदियों, परकीयों के साथ संघर्ष की परिस्थिति से उत्पन्न माँग को पूरा करने के लिए अपनाए गए उपाय अथवा परकीयों द्वारा थोपी गई या उनका अनुकरण कर स्वीकार की गई व्यवस्थाएँ मात्र हैं। भारतीय संस्कृति के नाम पर उन्हें जिन्दा रखा जा सकता।
उपर्युक्त गद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
(I) प्रस्तुत गद्यांश किस पाठ से लिया गया है तथा इसके लेखक कौन हैं?
(ii) लेखक के अनुसार भारतीय सांस्कृतिक चेतना के कमजोर होने का मुख्य कारण क्या हैं?
(iii) युगानुरूप परिवर्तन एवं विकास नहीं होने का मुख्य कारण क्या है?
(iv) भारतीय नीतियाँ एवं सिद्धान्त किस प्रकार विदेशियों की नकल मात्र बनकर रह गए हैं?
(v) 'परिस्थिति, व सांस्कृतिक' शब्दों में क्रमश: उपसर्ग एवं प्रत्यय छाँटकर लिखिए।
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