आज की भागती दौड़ती जिंदगी से मुस्कराहट तो न जाने कहाँ खो गई है। कुछ दशक पहले तक तो लोग एक-दूसरे को देखते ही एक सुंदर सी मुस्कराहट के साथ अभिवादन करते थे, किन्तु आज दशा यह है कि किसी पहचान वाले को देखते ही व्यस्तता का मुखौटा लगाकर अभिवादन की प्रक्रिया से स्वयं को बचाकर सुरक्षित निकालना ही बहादुरी का कार्य समझते हैं, जबकि मुस्कराहट एक ऐसी औषधि है जो मनुष्य को बिना किसी दाम के मिली है, यह उसके शारीरिक एवं मानसिक रोगों का उपचार करने में पूरी तरह सक्षम है। जो व्यक्ति मुस्कराकर दिन की शुरुआत करता है वह निश्चय ही सारे दिन ऊर्जावान रहता है, वह बिना किसी तनाव के सारे कार्य कुशलता से पूर्ण कर पुनः अगले दिन के लिए नए कार्यों को पूरा करने की कुशल रणनीति बना, निश्चिंत हो सो जाता है। पुनः नई ऊर्जा, नए विश्वास के साथ दिन का शुभारंभ करता है और सफलता प्राप्त करता है। ऐसे व्यक्ति का साथ सभी लोग चाहते है, उसकी एक छोटी सी मुस्कराहट के कारण ज्यादा से ज्यादा लोग उसके समीप आने का प्रयास करते है। ठीक इसके विपरीत अनायास ही खीजने वाले व्यक्ति से हर कोई दूरी बनाना पसंद करता है, हर कोई उससे बचना चाहता है। पुरानी कहावत है कि प्रसन्न वदन के दर्शन मात्र से ही समस्त कार्य पूर्ण हो जाते है। अतः हमारा प्रयास होना चाहिए कि स्वयं प्रसन्न रहकर दूसरों को भी खुशियाँ बांटें। सचमुच मुस्कराहट अनमोल होती है एक छोटी सी मुस्कराहट से बड़े-बड़े कार्य सहजता से सम्पन्न हो जाते है। कहते है न कि हींग लगे न फिटकरी रंग भी चोखा होए । तो अब तो आप समझ ही गए होंगे कि एक छोटी सी मुस्कराहट कितने काम की है। तो चलिए आज से बल्कि अभी से मुस्कराने की आदत डालिए। खुद स्वस्थ रहकर लोगों में खुशियाँ बाँटिए।
क) परस्पर अभिवादन करने में आए बदलाव के बारे में क्या बताया गया है? 2
ख) ऊर्जावान रहने के लिए क्या आवश्यक है और उसका क्या लाभ है? 2
ग) गदयांश का उचित शीर्षक लिखिए ।
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sorry I don't know the answer
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