आज कुछ-कुछ बादल थे। घटा
गहरी नहीं थी। धूप का प्रकाश उनमें
से छन-छनकर आ रहा था। माधवदास
मसनद के सहारे बैठे थे। उन्हें जिंदगी
में क्या स्वाद नहीं मिला है? पर जी
भरकर भी कुछ खाली सा रहता है।
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very good.......
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how are you?
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