आज का गाँव, समस्या और सुविधा पे निबंध
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Problems Of Rural Society Essay In Hindi
ग्रामीण समाज की समस्याएं पर निबंध – Problems Of Rural Society Essay In Hindi
June 9, 2020 by Laxmi
ग्रामीण समाज की समस्याएं पर निबंध – Essay On Problems Of Rural Society In Hindi
रूपरेखा-
प्रस्तावना,
ग्राम्य जीवन की विशेषताएँ
ग्रामीण समस्याएँ
समाधान के सुझाव,
उपसंहार।
साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं।
ग्रामीण समाज की समस्याएं पर निबंध – Graameen Samaaj Kee Samasyaen Par Nibandh
प्रस्तावना-
भारत गाँवों का देश है। प्रत्येक बड़े नगर के साथ सैकड़ों गाँव लगे हैं। भारत की लगभग 72 प्रतिशत जनता आज भी गाँवों में निवास, करती है। गाँवों के निवासी ही सम्पूर्ण देशवासियों के लिए अन्न, वस्त्र, फल, दूध, चीनी और सब्जियाँ आदि जीवन के लिए आवश्यक वस्तुओं का उत्पादन करते हैं। इस कारण इस देश में ग्रामों का विशेष महत्त्व है। देश की समृद्धि तथा विकास गाँवों के विकास पर आधारित है। गाँवों की उन्नति में ही देश की उन्नति है।
ग्राम्य जीवन की विशेषताएँ-
ग्राम के निवासी परिश्रमी, सीधे और सच्चे होते हैं। आडम्बर, छल-कपट से वे कोसों दूर होते हैं। फैशन और बाहरी चमक-दमक उन्हें अच्छी नहीं लगती। वे प्रकृति के खुले वातावरण में विचरण करते हैं। गाँवों की प्राकृतिक छटा भी बड़ी मनोरम होती है। यहाँ की शस्य श्यामला भूमि विभिन्न ऋतुओं में नया-नया रूप धारण करती है। गाँवों के चारों ओर के आम तथा अन्य फलों के बाग, प्रात:काल की शीतल मन्द सुगन्ध बयार और पशु-पक्षियों के विविध रूप नगर निवासियों के लिए दुर्लभ वस्तुएँ हैं। गाँवों का वातावरण सदैव शान्त और कोलाहल-रहित होता है।
ग्रामीण समस्याएँ-
यह आश्चर्य की बात है कि गाँव शान्ति और स्वास्थ्य के केन्द्र हैं किन्तु ग्राम के निवासी ग्राम छोड़कर शहरों की ओर दौड़ रहे हैं। इसका एकमात्र कारण है-ग्राम्य जीवन की जटिल समस्याएँ। यह कैसी विडम्बना है कि संसार को अन्न-वस्त्र देने वाला किसान स्वयं भूखा और नंगा रहता है। गाँव के निवासी अनेक कठिनाइयों से पीड़ित हैं, अभावों से संतप्त हैं। गाँवों की अनेक समस्याएँ हैं जिनमें से मुख्य निम्नलिखित हैं-
(अ) ऋण की समस्या-गाँव के अधिकतर लोग खेती करते हैं। खेती के लिए आधुनिक यन्त्रों, उत्तम बीज, खाद तथा सिंचाई की व्यवस्था के लिए किसान के पास धन नहीं होता है। इसके लिए उसे ब्याज की सस्ती दर पर ऋण नहीं मिल पाता। सरकार ने सहकारी बैंक, भूमि विकास बैंक आदि की स्थापना कर किसान की इस कठिनाई को दूर करने का प्रयास किया है किन्तु गाँव का किसान अशिक्षित है, वह अज्ञान के कारण इस सुविधा से लाभ नहीं उठा पा रहा है।
(ब) अशिक्षा-अधिकतर किसान अशिक्षित हैं। किसानों के बच्चे अब भी कम ही पढ़ते हैं और जो पढ़ते हैं, वे खेती नहीं करना चाहते। नौकरी की तलाश में भटकते फिरते हैं। अशिक्षा के कारण किसान खेती के नये-नये तरीकों, यन्त्रों तथा फसलों के विषय में जानकारी प्राप्त नहीं कर पाता है और सरकार से मिलने वाली सुविधाओं से भी वंचित रह जाता है।
Answer:
प्रस्तावना-
भारत गाँवों का देश है। प्रत्येक बड़े नगर के साथ सैकड़ों गाँव लगे हैं। भारत की लगभग 72 प्रतिशत जनता आज भी गाँवों में निवास, करती है। गाँवों के निवासी ही सम्पूर्ण देशवासियों के लिए अन्न, वस्त्र, फल, दूध, चीनी और सब्जियाँ आदि जीवन के लिए आवश्यक वस्तुओं का उत्पादन करते हैं। इस कारण इस देश में ग्रामों का विशेष महत्त्व है। देश की समृद्धि तथा विकास गाँवों के विकास पर आधारित है। गाँवों की उन्नति में ही देश की उन्नति है।
ग्राम्य जीवन की विशेषताएँ-
ग्राम के निवासी परिश्रमी, सीधे और सच्चे होते हैं। आडम्बर, छल-कपट से वे कोसों दूर होते हैं। फैशन और बाहरी चमक-दमक उन्हें अच्छी नहीं लगती। वे प्रकृति के खुले वातावरण में विचरण करते हैं। गाँवों की प्राकृतिक छटा भी बड़ी मनोरम होती है। यहाँ की शस्य श्यामला भूमि विभिन्न ऋतुओं में नया-नया रूप धारण करती है। गाँवों के चारों ओर के आम तथा अन्य फलों के बाग, प्रात:काल की शीतल मन्द सुगन्ध बयार और पशु-पक्षियों के विविध रूप नगर निवासियों के लिए दुर्लभ वस्तुएँ हैं। गाँवों का वातावरण सदैव शान्त और कोलाहल-रहित होता है।
ग्रामीण समस्याएँ-
यह आश्चर्य की बात है कि गाँव शान्ति और स्वास्थ्य के केन्द्र हैं किन्तु ग्राम के निवासी ग्राम छोड़कर शहरों की ओर दौड़ रहे हैं। इसका एकमात्र कारण है-ग्राम्य जीवन की जटिल समस्याएँ। यह कैसी विडम्बना है कि संसार को अन्न-वस्त्र देने वाला किसान स्वयं भूखा और नंगा रहता है। गाँव के निवासी अनेक कठिनाइयों से पीड़ित हैं, अभावों से संतप्त हैं। गाँवों की अनेक समस्याएँ हैं जिनमें से मुख्य निम्नलिखित हैं-
(ब) अशिक्षा-अधिकतर किसान अशिक्षित हैं। किसानों के बच्चे अब भी कम ही पढ़ते हैं और जो पढ़ते हैं, वे खेती नहीं करना चाहते। नौकरी की तलाश में भटकते फिरते हैं। अशिक्षा के कारण किसान खेती के नये-नये तरीकों, यन्त्रों तथा फसलों के विषय में जानकारी प्राप्त नहीं कर पाता है और सरकार से मिलने वाली सुविधाओं से भी वंचित रह जाता है।
(स) कुरीतियाँ-किसान अनेक कुरीतियों, कुप्रभावों और रूढ़ियों में फँसा है। विज्ञान के इस युग में भी वह छुआछूत, बाल-विवाह और जादू-टोना के अन्धविश्वास से मुक्ति नहीं पा सका है।
(द) आपसी कलह-गाँव के लोग छोटी-छोटी बातों और एक-एक इंच जमीन के लिए आपस में लड़ते-झगड़ते हैं। जरा-सी बात को सम्मान का प्रश्न बना लेते हैं, मार-पीट हो जाती है, सिर फूट जाते हैं, मृत्यु तक हो जाती है। मुकदमेबाजी हो जाती है, गाढ़ी कमाई का हजारों रुपया मुकदमों पर खर्च हो जाता है। इससे बड़ी हानि और क्या हो सकती है?
चिकित्सा की समस्या-गाँवों में स्वास्थ्य और चिकित्सा की व्यवस्था का अभाव है। अस्पताल एवं अच्छे डॉक्टर गाँव में उपलब्ध नहीं हैं। यदि कोई बीमार होता है तो वह चिकित्सा के अभाव में प्राणों से हाथ धो लेता है। जिनके पास धन तथा अन्य साधन होते हैं, वह शहरों की ओर दौड़ते हैं। परन्तु बहुत बार ऐसा होता है कि शहर के अस्पताल तक पहुँचते-पहुँचते रोगी जीवन से हाथ धो बैठता है।