आज का मानव जीवन समस्याओं से घिरा हुआ है । ,समस्याएं आज मानव जीवन का पर्याय बन गई है ।यह समस्याएं ही उसकी प्रगति का मार्ग प्रशस्त करती हैं। समस्याओं का समाधान करने में ही उसका श्रेष्ठतम रूप उभर कर सामने आता है । पुराणों में इस प्रकार की अनेक कथाएं मिलती है । जो व्यक्ति जितना उत्तरदायित्व वाला कार्य करेगा , उतनी ही उसके समक्ष समस्याएं आएंगी ।महत्वपूर्ण बात तो यह है कि प्रत्येक संघर्ष के गर्भ में विजय निहित रहती है ।संघर्ष से विमुख होना अलौकिक और पारलौकिक सभी दृष्टियो से हितकर है, मानव धर्म के प्रतिकूल है। अतः आप उठिए ,दृढ़ संकल्प, उत्साह और साहस के साथ संघर्ष रूपी विजय रथ पर चढ़कर अपने जीवन के विकास में विघ्न रुपी शत्रुओं पर विजय प्राप्त कर अपना जीवन खुशियों से भर लीजिए। 1. इस गद्यांश के लिए उचित शीर्षक होगा--
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(क) संघर्ष एवं अभिशाप
(ख)समस्या पर विजय
(ग)संघर्ष ही सफलता का आधार
(घ) संघर्ष और समस्या ।
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ग)
संघर्ष सफलता का आधार
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