आज का मनुष्य लगातार पेड़ काट रहा है पेड. और मनुष्य के बीच होते संवाद अपने शब्दों में लिखों
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पेड़ और मनुष्य के बीच संवाद :
(पेड़ अपने साथी पेड़ों से ) अरे ! कुछ सुनाई दे रहा है क्या ? लग रहा न कुछ बैल गाड़ियों की आवाज़ कुछ ख़ट खट की आवाज़ ये रात का सन्नाटा?
बाकी पेड़ (सहमते हुए ) : क्या हुआ दादा ! आपकी बात से हमारी भी नींद उचट गयी I क्या?फिर वन काटने वाले आ रहे हैं क्या ? हमलोग क्या करें दादा हम तो कहीं भाग भी नहीं सकते ,उड़ भी नहीं सकते I
आप ही कुछ उपाय निकाले I
बड़ा पेड़ :तुमलोग मुझपर विश्वास करते हो तो करो Iये तो सच है हमलोग नीरिह हैं और तुमने सच कहा की हमलोग कहीं भी जा भी नहीं सकते I मैं उनसे बात करके देखूंगा देखो टोर्च की रौशनी ,जीप की आवाज़I
(तब तक मनुष्य आ जाते हैं )
पेड़ : मैंने क्या गुनाह किया है ?आपलोग जब तब मुझे ही काटने आ जाते हो हम सबों को बर्बाद कर देते हो और काटना है तो मुझे पहले मुझे काट डालो I मेरे सामने मेरे बच्चों को मेरेनाती पोतों (अर्थात डालियों को ) मत काटो I
मनुष्य : साहब ! मुझे साहब ने भेजा है मुझे जंगले से कीमती लकड़ी चाहिए तुम सागवान हो उनके फर्नीचर में काम आओगे I
पेड़ : अगर कटना है तो किसी फर्नीचर बनानें से अच्छा है कि किसी की चिता की लकड़ी बनता I
(तब तक बाकी वृक्षों पर कुल्हाड़ियाँ चलने लगती हैं )
पेड़ :कृपया मेरे बच्चों को मत उजाडो देखो !चीख रहे हैं चिल्ला रहे हैं बिलख रहे हैं हमारा क्या अपराध I हम तुम्हें शुद्ध हवा देते है I वर्ष हमारे ही वजह से होती है I तुमलोगों ने हमारी ऐसी विनाश लीला की है ,आज तुम शुद्ध हवा पानी के लिए तरस रहे हो और ,और भी तरसोगे I हम तुम्हें फल देते हैं छाया देते हैं I
मनुष्य :हमारे पास कोई उपाय नहीं है और समय भी नहीं है I
"एक कुल्हाड़ी तुम पर ही भारी ,हे ! मनुष्य झेलो विपदा सारी I "