Hindi, asked by insiyah12345, 4 months ago

आज की नारी संचार प्रौद्योगिकी, सेना, वायुसेना, चिकित्सा, इंजीनियरिंग, विज्ञान वगैरह के क्षेत्र में न जाने किन-किन भूमिकाओं में कामयाबी के शिखर छू रही है। ऐसा कोई क्षेत्र नहीं, जहाँ आज की महिलाओं ने अपनी छाप न छोड़ी हो। कह सकते हैं कि आधी नहीं, पूरी दुनिया उनकी है। सारा आकाश हमारा है। पर क्या सही मायनों में इस आज़ादी की आँच हमारे सुदूर गाँवों, कस्बों या दूरदराज के छोटे-छोटे कस्बों में भी उतनी ही धमक से पहुँच पा रही है? क्या एक आज़ाद, स्वायत्त मनुष्य की तरह अपना फैसला खुद लेकर मज़बूती से आगे बढ़ने की हिम्मत है उसमें?
बेशक समाज बदल रहा है मगर यथार्थ की परतें कितनी बहुआयामी और जटिल हैं जिन्हें भेदकर अंदरूनी सच्चाई तक पहुँच पाना आसान नहीं। आज के इस रंगीन समय में नई बढ़ती चुनौतियों से टकराती स्त्री की क्रांतिकारी आवाजें हम सबको सुनाई दे रही हैं, मगर यही कमाऊ स्त्री जब समान अधिकार और परिवार में लोकतंत्र की अनिवार्यता पर बहस करती या सही मायनों में लोकतंत्र लाना चाहती है तो वहाँ इसकी राह में तमाम धर्म, भारतीय संस्कृति, समर्पण, सहनशीलता, नैतिकता जैसे सामंती मूल्यों की पगबाधाएँ खड़ी की जाती हैं। नारी की सच्ची स्वाधीनता का अहसास तभी हो पाएगा जब वह आज़ाद मनुष्य की तरह भीतरी आज़ादी को महसूस करने की स्थितियों में होगी।

प्र .1 नारी की वास्तविक आजादी कब है ?
प्र . 2 कैसे कहा जा सकता है कि आधी दुनिया नही बल्कि पुरी दुनिया महिलाओं की है?
प्र . 3 दूरदराज के क्षेत्रों में लेखक को महिलाओं की आजादी पर संदेह क्यों लगता है ?
प्र . 4 नारी जब परिवार में लोकतन्त्रलाना चाहती है तो वह कमजोर क्यों पड़ जाती है ?

Answers

Answered by Anonymous
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दिए गए गद्यांश के आधार पर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर निम्नलिखित हैं।

उत्तर 1. नारी की वास्तविक आज़ादी तब होगी जब वह आज़ाद मनुष्य की तरह भीतरी आज़ादी को महसूस करने का स्थितियों में होगी।

उत्तर2. आज की नारी ने संचार प्रोद्योगिकी , सेना, वायुसेना, चिकित्सा, इंजीनियरिंग, विज्ञान वगैरह के क्षेत्र में सभी भूमिकाओं में कामयाबी हासिल की है, इसी कारण कहा गया है कि आधी नहीं बल्कि पूरी दुनिया महिलाओं की है।

उत्तर3. दूरदराज के क्षेत्रों में लेखक को महिलाओं की आज़ादी पर संदेह लगता है क्योंकि दूरदराज के क्षेत्रों में आज भी महिलाएं अपने फैसले स्वयं नहीं ले सकती। एक स्वायत्त मनुष्य की तरह आगे नहीं बढ़ सकती।

उत्तर4. नारी जब परिवार में लोकतंत्र लाना चाहती है तो वह कमजोर पड़ जाती है क्योंकि वहाँ इसकी राह में तमाम धर्म, भारतीय संस्कृति, समर्पण, सहनशीलता, नैतिकता जैसे सामंती मूल्यों की पगबाधाएँ खड़ी की जाती हैं।

Answered by deeptipathak1516
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