Hindi, asked by gautam4727, 1 year ago

आज के नेता खुले आम जनता को लूट रहे है इस विष पर संवाद

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Answered by aabuzear
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एक अच्छी खबर आई की अब भारत गरीबों का देश नही रहा। लेकिन इसके साथ इस खबर ने यह भी सोचने को मजबूर कर दिया कि भारत अब वह भारत नही रहा जिसमें भाई चारा, सहयोग, आपसी प्यार और सामने वाले के लिए बहुत कुछ करने की तम्मन्ना, कर्तव्यपरायणता और रिश्ते निभाने हो हुआ करती थी। पचास वर्ष से अधिक की उम्र के लोगों को आज भी याद होगा कि अगर किसी गॉव या शहर के किसी मोहल्ले में किसी लड़की की शादी होती थी तो पूरे गॉव व पूरे मोहल्ले की चारपाई, ताकिया और सामग्री शादी वाले घरों में पहुंच जाती थी। अगर कोई बीमार पड़ा तो सहयोग के लिए कई घरों के लोग आ जाते थे। विद्यालय सरकारी थे लेकिन शिक्षक अभिभावकों की तरह थे। स्कूल के साथ साथ घर तक छात्र-छात्राओं की खबर रखते थे। पुलिस कर्मी हो फिर जन प्रतिनिधि, डाक्टर हो या अधिकारी सब का स्नेह एवं भाईचारा था। आज हम दौलत के पीछे इतने दिवाने हो गए है कि अपने कर्तव्य को भूल चुके है। अब भारतीय का दिल गरीब हो चला है। लेकिन यही भारत अब दुनिया की सबसे बड़ी गरीब आबादी वाला देश नहीं रहा। ब्रुकिंग्स के फ्यूचर डेवलपमेंट ब्लॉग में प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक हर मिनट में 44 भारतीय अति गरीब की श्रेणी से बाहर निकलते जा रहे हैं। भारत का अत्यंत गरीब आबादी वाला तमगा अब मई 2018 से नाइजीरिया ने हासिल कर लिया है। अध्ययन के अनुसार भारत को साल 2030 में एक बहुत बड़ी उपलब्धि मिल जाएगी। यहां बेहद गरीब जनसंख्या वाले लोगों का दायरा साल 2022 तक 3 फीसद रहने की उम्मीद है, जबकि साल 2030 तक भारत से घोर गरीबी पूरी तरह खत्म हो जाएगी। इस अध्ययन रिपोर्ट में कहा गया है कि मई 2018 में उनकी ट्रैजक्टरीज से पता चला है कि भारत में 7 करोड़ 30 लाख लोग गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने को मजबूर हैं। वहीं इनकी संख्या नाइजीरिया में 8 करोड़ 70 लाख है यानी यहां हर मिनट 6 लोग भीषण गरीबी की ओर जा रहे हैं। उधर, संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट कहती है कि दुनिया से गरीबी हटाने का उसका लक्ष्य तभी पूरा होगा जब इस दिशा में हर देश अपना योगदान दे। यानी दुनिया के हर देश में भी उतनी ही तेजी से गरीबी का स्तर कम होना चाहिए 
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