आज के नवीनीकरण के इस युग में जातक कथाएं, पंचतंत्र की कहानियां , परियों की कहानियां, दादा - दादी के द्वारा सुनाए जाने वाले रोचक किस्से और कहानियां अगर जीवंत स्वरूप में होते , तो बच्चो में उसका क्या प्रभाव होता? इस संदर्भ में अपने विचार प्रस्तुत कीजिए ।
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आनंदमय जीवन
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आज अगर पुरानी कहानियां जीवंत होती तो आजकल के बच्चे प्रसन्न हो उठते हमें मोबाइल आदि चीज़ों की जरुरत नहीं पड़ती परी आती और हमें सारे दुखो से छुटकारा दे देतीं, हमारा जीवन सातवे आसमान में हिलोरे ले रहा होता लेकिन वहीँ कुछ नुक्सान भी उठाना पड़ता पर जादुई दुनिया अच्छी लगती,और अपने सभी लोग जीवित होते शायद जंगल में मंगल होता आज पर्यावरण में जहर न घुला होता और न कोरोना वायरस फैला होता इसने तो जीवन हराम कर रखा है चाचा चौधरी शायद कुछ सलूशन निकाल ही लेते हम सब कितने खुश होते लेकिन आराम दायक मशीने शायद न होती
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