आज के परिवेश मे योग की सार्थकता पर आ्पने विचार व्यक्त कीजिए
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Holaa Mate
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⭕योग शब्द संस्कृत की ‘युज’ धातु से बना है जिसका अर्थ है जोड़ना यानि शरीर, मन और आत्मा को एक सूत्र में जोड़ना | योग के महान ग्रन्थ पतंजलि योग दर्शन में योग के बारे में कहा गया है| “योगश्च चित्तवृत्ति निरोध:“l यानि मन की वृत्तियों पर नियंत्रण करना ही योग है l प्राचीन जीवन पद्धति लिये योग, आज के परिवेश में हमारे जीवन को स्वस्थ और खुशहाल बना सकते हैं।
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भारतीय धर्म और दर्शन में योग का अत्यधिक महत्व है। आध्यात्मिक उन्नतिया शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए योग की आवश्यकता व महत्व को प्रायः सभी दर्शनों एवं भारतीय धार्मिक सम्प्रदायों ने एकमत व मुक्तकंठ से स्वीकार किया है।
वैदिक जैन और बौद्ध दर्शनों में योग का महत्व सर्वमान्य है। सविकल्प बुद्धि और निर्विकल्प प्रज्ञा में परिणित करने हेतु योग-साधना का महत्व सर्वमान्य स्वीकृत है। सविकल्प और निर्विकल्प क्या होता है इसे "योग दर्शन" में देखें।
वर्तमान युग, आधुनिक युग में योग का महत्व बढ़ गया है। इसके बढ़ने का कारण व्यस्तता और मन की व्यग्रता है। आधुनिक मनुष्य को आज योग की ज्यादा आवश्यकता है, जबकि मन और शरीर अत्यधिक तनाव, वायु प्रदूषण तथा भागमभाग के जीवन से रोगग्रस्त हो चला है।