आज का समाज स्वार्थपरक और क्षुद्र विचारों का बन गया है। कभी मदमत्त.
अधा हो जाता है और कभी मिथ्या अभिमान से अपने आपको जरूरत से अधिक ऊँचा
समझने लगता है। काम, क्रोध, ईर्ष्या को तो मानव ने सहचर बना लिया है। धन की
लालसा से प्रेरित होकर मानव न जाने कहाँ-कहाँ भटकता है। आज सार तत्त्व की अपेक्षा
आडंबर और प्रदर्शन का बोल-बाला है। आज समाज-सेवा की बहुत आवश्यकता है।
समाज सेवक कथनी और करनी में एक हों। मन-वाणी और कर्म में संतुलन हो, निस्वार्थ
समाज सेवी हों।
(क) उचित शीर्षक दें।
(ख) मानव के सहचर कौन बन गए हैं ?
(ग) आज का समाज कैसा बन गया है ?
(घ) आज किस बात का बोल-बाला है ?
(ङ) समाज सेवक में क्या गुण होने चाहिएं ?
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Answer:
- अंधा समाज
- काम क्रोध ईर्ष्या मानव के सहचर बन गए है
- आज का समाज स्वार्थ परक और शूद्र विचारों का बन गया है|
- आडंबर और प्रदर्शन का बोलबाला है
- समाज सेवक में कथनी और करनी में एक हो,मन वाणी और कर्म संतुलन हो, यह सब गुण होने चाहिए
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