आज के समय में जबकि देश में प्रगति एवं विकास के बावजूद पारस्परिक वेश एवं हिंसा की घटनाएं में बढ़ोतरी हो रही है कबीर दास जी की वाणी संप्रदायिकता को रोकने में किस प्रकार मददगार साबित हो सकती है अपने कला कौशल के द्वारा लिखे लगभग 150 शब्दों में
Answers
Explanation:
जून 2018 की बात है. लाउडस्पीकर की वजह से बढ़ रहा शोर और ध्वनि-प्रदूषण उत्तराखंड हाई कोर्ट के एक फैसले के चलते सुर्खियों में आ गया. हाई कोर्ट ने अपने इस आदेश में लाउडस्पीकर के लिए आवाज की अधिकतम सीमा पांच डेसिबल तय कर दी थी. किसी व्यक्ति के सांस लेने की आवाज 10 डेसिबल होती है. अदालत ने राज्य सरकार को इस शर्त का पूरी तरह पालन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया.
लाउडस्पीकर की समस्या पर लोक-दायरे में बहुत पहले से चर्चा होती रही है. कुछ समय पहले इस चर्चा ने तब भी जोर पकड़ा था जब एक विख्यात गायक ने लाउडस्पीकर से अजान को लेकर टीका-टिप्पणी की. हालांकि गायक ने स्पष्टीकरण भी दिया था कि उसने अजान के साथ-साथ हिंदू और सिख धर्मस्थलों में लाउडस्पीकर के दुरुपयोग की ओर भी ध्यान दिलाया है. सार्वजनिक जीवन में लोकप्रिय और सर्वप्रसिद्ध कोई व्यक्ति जब ऐसा कुछ कहता है, तो ऐसे मुद्दों की ओर सहज ही बड़े पैमाने पर लोगों का ध्यान जाता है. मीडिया द्वारा इसे सनसनीखेज बनाने की भी कोशिशें होती हैं. तात्कालिक रूप से इसका सियासी और सांप्रदायिक फायदा उठा ले जाने वाले भी तुरंत सक्रिय हो जाते हैं. पिछले कुछ समय से यह हमारी सामान्य सामाजिक प्रवृत्ति दिखाई देती है.