Hindi, asked by sonawaner049, 3 months ago

आज के समय में पत्र लेखन की सार्थकता पर अपने विचार व्यक्त कीजिए


टू पैराग्राफ ​

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Answered by s14648anisha00929
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Answer:

पत्र लिखने के लिए कुछ आवश्यक बातें

(1) जिसके लिए पत्र लिखा जाये, उसके लिए पद के अनुसार शिष्टाचारपूर्ण शब्दों का प्रयोग करना चाहिए।

(2) पत्र में हृदय के भाव स्पष्ट रूप से व्यक्त होने चाहिए।

(3) पत्र की भाषा सरल एवं शिष्ट होनी चाहिए।

(4) पत्र में बेकार की बातें नहीं लिखनी चाहिए। उसमें केवल मुख्य विषय के बारे में ही लिखना चाहिए।

(5) पत्र में आशय व्यक्त करने के लिए छोटे वाक्यों का प्रयोग करना चाहिए।

(6) पत्र लिखने के पश्चात उसे एक बार अवश्य पढ़ना चाहिए।

(7) पत्र प्राप्तकर्ता की आयु, संबंध, योग्यता आदि को ध्यान में रखते हुए भाषा का प्रयोग करना चाहिए।

(8) अनावश्यक विस्तार से बचना चाहिए।

(9) पत्र में लिखी वर्तनी-शुद्ध व लेख-स्वच्छ होने चाहिए।

(10) पत्र प्रेषक (भेजने वाला) तथा प्रापक (प्राप्त करने वाला) के नाम, पता आदि स्पष्ट रूप से लिखे होने चाहिए।

(11) पत्र के विषय से नहीं भटकना चाहिए यानी व्यर्थ की बातों का उल्लेख नहीं करना चाहिए।

अच्छे पत्र की विशेषताएँ

एक अच्छे पत्र की पाँच विशेषताएँ है-

(1) प्रभावोत्पादकता

(2) विचारों की सुस्पष्ठता

(3) संक्षेप और सम्पूर्णता

(4) सरल भाषाशैली

(5) बाहरी सजावट

(6) शुद्धता और स्वच्छता

(7) विनम्रता और शिष्टता

(8) सद्भावना

(9) सहज और स्वाभाविक शैली

(10) क्रमबद्धता

(11) विराम चिह्नों पर विशेष ध्यान

(12) उद्देश्यपूर्ण

(1)प्रभावोत्पादकता :- किसी भी पत्र का प्रथम गुण हैं उसकी प्रभावोत्पादकता। जो पत्र अपने पाठक को प्रभावित नहीं करते वे जल्दी ही रद्दी की टोकरी में चले जाते हैं। उनका लिखा जाना और न लिखा जाना- दोनों बराबर हैं। अच्छा पत्र-लेखक वही हैं, जो अपने विचार प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत कर सके। इसके लिए जरूरी हैं कि आप जो बात पत्र में लिखना चाहते हैं उसपर पहले गंभीरता से विचार कर लें। फिर उसे इस ढंग से प्रस्तुत करें कि पढ़नेवाले पर उसका अनुकूल असर हो।

(2)विचारों की सुस्पष्ठता :- पत्र में लेखक के विचार सुस्पष्ट और सुलझे होने चाहिए। कहीं भी पाण्डित्य-प्रदर्शन की चेष्टा नहीं होनी चाहिए। बनावटीपन नहीं होना चाहिए। दिमाग पर बल देनेवाली बातें नहीं लिखी जानी चाहिए।

(3)संक्षेप और सम्पूर्णता:-- पत्र अधिक लम्बा नहीं होना चाहिए। वह अपने में सम्पूर्ण और संक्षिप्त हो। उसमें अतिशयोक्ति, वाग्जाल और विस्तृत विवरण के लिए स्थान नहीं है। इसके अतिरिक्त, पत्र में एक ही बात को बार-बार दुहराना एक दोष है। पत्र में मुख्य बातें आरम्भ में लिखी जानी चाहिए। सारी बातें एक क्रम में लिखनी चाहिए। इसमें कोई भी आवश्यक तथ्य छूटने न पाय। पत्र अपने में सम्पूर्ण हो, अधूरा नहीं। पत्रलेखन का सारा आशय पाठक के दिमाग पर पूरी तरह बैठ जाना चाहिए। पाठक को किसी प्रकार की लझन में छोड़ना ठीक नहीं।

(4)सरल भाषाशैली:- पत्र की भाषा साधारणतः सरल और बोलचाल की होनी चाहिए। शब्दों के प्रयोग में सावधानी रखनी चाहिए। ये उपयुक्त, सटीक, सरल और मधुर हों। सारी बात सीधे-सादे ढंग से स्पष्ट और प्रत्यक्ष लिखनी चाहिए। बातों को घुमा-फिराकर लिखना उचित नहीं।

(5)बाहरी सजावट:- पत्र की बाहरी सजावट से हमारा तात्पर्य यह है कि

(i) उसका कागज सम्भवतः अच्छा-से-अच्छा होना चाहिए;

(ii) लिखावट सुन्दर, साफ और पुष्ट हो;

(iii) विरामादि चिह्नों का प्रयोग यथास्थान किया जाय;

(iv) शीर्षक, तिथि, अभिवादन, अनुच्छेद और अन्त अपने-अपने स्थान पर क्रमानुसार होने चाहिए;

(v) पत्र की पंक्तियाँ सटाकर न लिखी जायँ और

(vi) विषय-वस्तु के अनुपात से पत्र का कागज लम्बा-चौड़ा होना चाहिए।

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