Hindi, asked by 8285285280, 1 year ago

आज की शिक्षा छात्रों के बचपन को निगल रही है पर paksh ya vipaksh

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Answered by Sudhalatwal
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आज की शिक्षा बचपन को निगल रही है। वर्तमान सन्दर्भ में यह पूर्णतः सत्य है। शिक्षा आजकल किताबों को रटकर पुरे-पुरे अंक लाने का पर्याय हो गयी है। इस दौड़ ने बच्चों के जीवन को किताबों के बोझ तले दबा कर उनके बचपन को दफ़न कर दिया है। रही सही कसार तथाकथित उच्च-स्तरीय कोचिंग सेंटरों ने कर दी है। बच्चे विद्यालय से आते ही कोचिंग के लिए चले जाते हैं और फिर देर शाम को घर वापिस आते हैं. ना तो उनके पास खेलने का समय रहता है और ना ही किसी मनोरंजन या शौक के लिए। अभिभावक और शिक्षक गण सभी उनसे बहुत उम्मीदें रखते हैं और उन उम्मीदों को पूरा करने की धुन में बच्चें अपने आप को और अपने बचपन को, दोनों भूल जाते हैं। निम्न कहावत आज के विद्यार्थियों पर पूरी तरह लागु होती है।

हाय रे विद्यार्थी जीवन, तेरी यही कहानी कन्धों पर किताबों का बोझ और कभी ना ख़त्म होती बचपन की क़ुरबानी।
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