आज की वेशभूषा और पहले की वेशभूषा में अंतर प्रेमचंद के फटे जूते पाठ पर आधारित
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प्रेमचंद के फटे जूते' पाठ से पता चलता है कि उच्च कोटि को साहित्यकार होने के बाद भी प्रेमचंद साधारण-सा जीवन “: “बिता रहे थे। वे मोटे कपड़े का कुरता-धोती और टोपी पहनते थे। उनके जूतों के बंद बेतरतीब बँधे रहते थे। इसके बाद भी प्रेमचंद को दिखावा एवं आडंबर से परहेज था।
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फोटो में प्रेमचंद अत्यंत साधारण-सी वेषभूषा में नजर आ रहे थे। उनके साथ में उनकी पत्नी थी। वे कुर्ता-धोती पहने, सिर पर टोपी लगाए थे। पाँवों में कैनवस के बेतरतीब बंद वाले जूते थे, जिनकी लोहे की पतरी गायब थी। उन्हें किसी तरह बाँध लिया गया था। बाएँ पैर के फटे जूते से उनके पैर की उँगली दिख रही थी।
प्रश्न 2. ‘गंदे-से-गंदे आदमी की फोटो भी खुशबू देती है’ के माध्यम से लेखक क्या कहना चाहता है?
उत्तर : इस वाक्य के द्वारा लेखक ने समाज में व्याप्त दिखावे और फैशन पर व्यंग्य किया है। लोग अपनी फोटो खिचाते समय दूसरों से कपड़े, टाई, जूते आदि उधार लेते हैं। बाल सेट कराते हैं ताकि उनकी फोटो सुंदर आए। वे अपनी फोटो खिचाते समय अपने बैठने का ढंग, मुख, मुद्रा आदि का विशेष ध्यान रखते हैं, जिससे उनकी फोटो अच्छी