आज का विषय है अंकित की वापसी
अंकित अपनी धुन में चला जा रहा था उसका घर सड़क गांव सब पीछे छूट गए थे आज वह मां से नाराज होकर जा रहा था मां ने आज उसकी पिटाई कर दी थी क्योंकि उसने अपने घर के आंगन के पेड़ पर बैठी चिड़िया को गुलेल से पत्थर मारकर गिरा दिया और वह तड़प तड़प कर मर गई थी सामने पहाड़ी नजर आ रही थी घना जंगल था अंकित था कि विचारों में डूबा बढ़ता ही जा रहा था उसे मालूम नहीं था कि कहां जाना है बस उसके पांव जिधर ले जा रहे थे वही उसका लक्ष्य बनता जा रहा था
अचानक चीन चीन की आवाज से उसकी तंद्रा भंग हो गई आवाज की दिशा में नजर घुमाई तो कहां पुठा एक बार घोंसले में चिड़िया के मासूम बच्चे पर झपट रहा था कि नियर घोसला में बैठी चिड़िया तेजी से बाहर आई और बाज पर टूट पड़ी कहां बाज कहां नन्ही सी चिड़िया मां की ममता सामने खड़ी मौत से भी जूझ गई घबराहट में बाद बच्चे को छोड़ दून उड़ गया अंकित के सामने चिड़िया का लहू लुहान बच्चा पड़ा था चिड़िया बेचारी की थी करती रो रही थी तभी अंकित को लगा कि दरवाजे पर खड़ी उसकी मां भी रो-रोकर अंकित को पुकार रही है अगले ही पल अंकित ने चिड़िया के बच्चे को उठाया और घर की तरफ मुड़ गया अंकित अब सोच रहा था कि इस बच्चे की मरहम पट्टी करके इस के घोसले तक छोड़ आएगा वह अब किसी जीव को नहीं सताएगा मां ने उसे बेकार में ही बैठा था मां को किसी भी प्राणी की मां के दुख का अभाव था इसलिए गुस्सा आया और उसकी पिटाई हुई अब वह अपने आंगन में ढेर सारी चिड़िया पालने का चर्चा की चिड़िया कितनी अच्छी लगती है और यह चिड़िया वहां से माफी मांगे भीख मांगेगा
अब घर सामने ही था उसने देखा कि द्वार पर खड़ी माउस की प्रतीक्षा में परेशान हो आंसू बहा रही है वह दौड़ कर मां से चिपक कर सिसकने लगा हाय दोस्तों इस कहानी को ज्यादा से ज्यादा अपने व्हाट्सएप फेसबुक और ट्विटर पर शेयर करो मेरे नाम के साथ समर्थ
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