Hindi, asked by ankitghosh031806, 1 day ago

“ आज का व याथ भव य क सोच म कु छ अधक लग गया है। भव य कै सा होगा, वह भव य म या बनेगा? इस न को सलझानेु म या व न देखने म वह बहुत समय न ट कर देता है। भव य के बारे म सोचए ज र, लेकन भव य को वतमान पर हावी मत होने द िजए, य क वतमान ह भव य क नींव बन सकता है। अतः नीव को मजबतू बनाने के लए आव यक है क ान तो भव य का भी हो, लेकन यान वतमान पर रहे। अतः आपक सफलता का मलू मं यह हो सकता है क आप एक व न ल, सोचे क आपको या बनना है और या करना है और व न के अनसारु काय करना ारंभ कर द।वतमान पी नींव को मजबतू कर और यद वतमान पी नींव बन गई, तो भव य पी इमारत भी अव य बन जाएगी। िजतनी मेहनत हो सके, उतनी मेहनत कर और नराश को जीवन म थान न दे। भव य के बारे म अधक सोच या अधक चचा करने से चताएंं घेर लेती है। ये चताएंं वतमान के कम म बाधा उ प न करती है। मन म लगन कम होती है और ल य दरू होता चला जाता है। नः सदंेह भव य के लए योजनाएं बनानी चाहए, कंत ु वतमान को व मतृ नह ं करना चाहए। भव य क नींव बनाने म वतमान का पर म भव य क योजनाओं से अधक मह वपणू है।”
(क) आज के व याथय म पाई जाने वाल कृत को बताते हुए इससे होने वाल हानय पर काश डालए ।
(ख) वतमान हमारे लए य मह वपणू होता है? प ट क िजए। (ग) भव य के त हमारा ि टकोण कै सा होना चाहए?
(घ) ततु श द के वलोम श द लखए। आव यक , ारंभ
(ङ) ततु ग यांश का सवाधक उचत शषक बताइए।​

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Answered by DevTaxak1
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