आज क्या पंढरपुर ला प्राचीन काली - म्हणत
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पंढरपुर महाराष्ट्र प्रान्त में सोलापुर जिले में एक शहर है। जो वारकारी संप्रदाय या विट्ठल संप्रदाय का केंद्र है। विट्ठल संप्रदाय के महान संत ज्ञानेश्वर, नामदेव, एकनाथ, तुकाराम, सखूबाई चोखामेला महार और कर्मामेला महार आदि हुए हैं। विट्ठल संप्रदाय ने जन्म आधारित जाति व्यवस्था ऊंच-नीच अस्पृश्यता का विरोध किया और सन्यास के विचार का विरोध कर सांसारिक जीवन में रहकर दुखी और परित्यक्त लोगों की सेवा करना मानव का परम कर्तव्य माना । पंढरपुर नगर, दक्षिणी महाराष्ट्र राज्य, पश्चिमी भारत में स्थित है। यह भीमा नदी (घुमावदार बहाव के कारण यहाँ चंद्रभागा कहलाती है) के तट पर सोलापुर नगर के पश्चिम में स्थित है। सड़क और रेल मार्ग द्वारा आसानी से पहुंचने योग्य पंढरपुर एक धार्मिक स्थल है, जहां साल भर करोडों हिंदू तीर्थयात्री आते हैं। भगवान विष्णु के अवतार बिठोबा और उनकी पत्नी रुक्मिणी के सम्मान में इस शहर में वर्ष में चार बार त्योहार मनाए जाते हैं। मुख्य मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी में देवगिरी के यादव शासकों द्वारा कराया गया था। यह शहर भक्ति संप्रदाय को समर्पित मराठी कवि संतों की भूमि भी है। 2001 की जनगणना के अनुसार पंढरपुर की जनसंख्या 91,381 है।