आज मुकुलित कुसुमित सब और तुम्हारी छवि की छटा अपार, फिर रहे उन्मत्त मधु प्रिय और नयन पलको के पंख पसार का भावार्थ
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कवि कह रहे हैं कि आज khusbhudar फूलों की महक और उसकी सुंदरता हमारे आँखों को आनन्द प्रदान कर रहे हैं और उनकी छवि बहुत ही बड़ी है जिसकी कोई सीमा नहीं है |
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