२) आज सारा संसार फै शन का दीिाना है| हमारा अविकांश व्यिहार फै शन पर
ही आिाररत है| आपकी दृवि में फै शन क्या है और यह आज के मनुष्य को ककस
प्रकार प्रभावित कर रहा है?
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- भारती जोशी
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आज सारा संसार फैशन का दीवाना है क्योंकि इसमें समाई है दरियादिली। यदि हम अपने सामाजिक व्यवहार पर गौर करें तो पाएँगे कि हमारा अधिकांश व्यवहार फैशन पर ही आधारित है। चाहे यह व्यवहार केश सज्जा के संबंध में हो या जेवर, वेशभूषा, फर्नीचर, जूते-चप्पल, मकान बनाने या कमरे सजाने से संबंधित हो, हम सभी मामलों में फैशन से ही प्रभावित रहते हैं चूँकि मानव स्वभाव नवीनता प्रिय होता है इसीलिए वह फैशन का अनुकरण करता है। फैशन की परिवर्तनशीलता के ही कारण आज हम लोग अंधानुकरण करते हुए भी इसके पीछे-पीछे भाग रहे हैं लेकिन इसके आगे नहीं निकल पाते हैं।
फैशन किसी भी जनसमूह की रुचि या पसंद में होने वाले क्रमिक परिवर्तनों को कहा जाता है जो उपयोगिता द्वारा निर्धारित नहीं होता मनोवैज्ञानिक किम्बल यंग ने फैशन को एक प्रचलन, तरीका, कार्य करने का ढंग, अभिव्यक्ति की विशेषता या सांस्कृतिक लक्षणों को प्रस्तुत करने की विधि कहा है जिसे बदलने की आज्ञा स्वयं प्रथा देती है। यदि हम प्रथा को सामाजिक व्यवहार का एक स्थिर और स्थायी पहलू मानते हैं तो फैशन की इस सामान्य स्वीकृति के अंदर होने वाले परिवर्तन के रूप में कल्पना कर सकते हैं।
फैशन के जन्म और विनाश में एक और मनोवैज्ञानिक प्रेरक शक्ति विद्यमान है वह यह कि फैशन व्यक्ति की हीनता की भावना की क्षतिपूर्ति करता है। जिन लोगों के व्यक्तित्व में कुछ कमी या दोष होता है। उनमें इसी कारण हीनता की भावना पनपती है और वे इसी दोष की क्षतिपूर्ति करने के लिए फैशन के क्षेत्र में नेतृत्व करने की बात सोचते हैं।
आज सारा संसार फैशन का दीवाना है क्योंकि इसमें समाई है दरियादिली। यदि हम अपने सामाजिक व्यवहार पर गौर करें तो पाएँगे कि हमारा अधिकांश व्यवहार फैशन पर ही आधारित है।
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