Hindi, asked by himanipawar2008, 19 days ago

आज समाज में भी कई कुर्तियां फैली है उन्हें पहचान कर उन्हें दूर करने का प्रयास आप कैसे करेंगे​

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Answered by prajeet3a312020
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Answered by s5d1582manav9081
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जागरण संवाददाता, अंबाला : जब स्कूल में पढ़ते थे, तब समाज में बहुत सी कुरीतियां फैली देखीं, लेकिन उम्र कम थी, जिससे उनके खिलाफ बोल नहीं सकते थे, लेकिन मन में सोच लिया था कि एक दिन समाज में फैली इन कुरीतियों के प्रति आवाज बुलंद कर समाज को जागरूकता की राह पर ले जाना है। फिर चाहे जिंदगी में कितने भी उतार चढ़ाव क्यों न आ जाए। जैसे-जैसे उम्र बढ़ती गई समाज में फैली कुरीतियों के प्रति मन में नफरत बढ़ती गई। यह कहना है सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ सालों से लोगों में जागरूकता की अलख जगाने वाले तरुण कौशल का।

समाजसेवक तरुण कौशल का कहना है कि महिला और पुरुष समाज के अभिन्न अंग है। दोनों समाज रूपी गाड़ी के दो पहिये है। यदि एक पहिया कमजोर होगा तो गाड़ी रुक सकती है। और सामाजिक संतुलन खतरे में पड़ सकता है। ऐसे में समतामूलक समाज की स्थापना का प्रयास अधूरा रह सकता है। कन्या बचाओ, महिला उत्पीड़न, जात-पात, भेदभाव सहित सामाजिक मुद्दों पर जिले के विभिन्न क्षेत्रों में वर्ष 1999 से प्रयास कर लोगों की संवेदनाओं को झकझोर कर समाज में समता लाने के लिए ग्रामीणों को जागरूक करने का काम कर रहे हैं वर्ष 2003 से भ्रूणहत्या और महिला उत्पीड़न के खिलाफ लोगों को जागरूक करने के खिलाफ एक मुहिम छेड़ी। वर्ष 2010 में संकल्प उठाओ बेटी बचाओ अभियान और महिला उत्पीड़न के खिलाफ जिले में मुहिम चलाकर समाज में फैली सामाजिक कुरीतियों पर प्रहार किया।

नेहरू युवा केंद्र, जिला युवा विकास संगठन व युवा विकास मंडल से जुड़कर समतामूलक समाज की स्थापना की दिशा में आगे कदम बढ़ाए। वर्ष 2006 में पहली बार हरयोली गांव में लड़कियों के नाम सामूहिक लोहड़ी मनाई गई। 2010 में बराड़ा में बैठक के दौरान लोगों को भ्रूणहत्या के खिलाफ जागरूक करने के लिए संकल्प उठाओ बेटी बचाओ अभियान छेड़ा गया। 2014 में बराड़ा गांव में विशाल पद यात्रा निकालकर व कैंडल मार्च निकालकर लोगों को कन्याओं को मारने व महिलाओं पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ जागरूक किया। कार्यक्रम का आयोजन कर कन्याओं के माता-पिता का सम्मान कर प्रोत्साहित किया। गांव-गांव में महिला संगोष्ठी कराई गई। 13 जनवरी वर्ष 2013 में मुलाना हलके में कार्यक्रम का आयोजन कर 251 कन्याओं के माता-पिता को सम्मानित किया गया। 12 जनवरी 2014 को बड़े स्तर पर कन्याओं के लिए लोहड़ी मनाई गई। 13 जनवरी, 2014 को नारायणगढ़ में कार्यक्रम का आयोजन कर 1001 कन्याओं के माता-पिता व समाज में अच्छे कार्यो के लिए 41 महिलाओं को सम्मानित किया। इसके अलावा पिछले पांच सालों में ग्रामीण क्षेत्रों में इंकलाब नाटक मंचित कर लोगों को सोचने पर मजबूर कर चुका है समता स्थापित करने के लिए रुढि़यों को त्यागना होगा। इन सामाजिक संस्थाओं के 300 युवक, युवतियां जुड़ी हुई है। पूरे जिले से 4 हजार लोग समर्थन कर रहे है। तरुण के अनुसार पूरे प्रदेश में जिले के युवाओं के सहयोग से पहली बार लड़कियों के लिए लोहड़ी मनाई गई। इन सब कुरीतियों के खिलाफ लोगों में जागरूकता लाने में तरुण कौशल के साथ उनके छोटे भाई कृष्णा स्वामी, परमजीत सिंह बढ़ौला, नरेश मित्तल, सतीश गर्ग और याकूब खान ने भी बखूबी अपना साथ दिया है।

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