आजादी आसानी से नहीं मिलती कहानी में हीरा और मोती ने शोषण के खिलाफ आवाज उठाई आंदोलन की भावना से जुड़ी हुई है
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आजादी आसानी से नहीं मिलती कहानी में हीरा और मोती ने शोषण के खिलाफ आवाज उठाई आंदोलन की भावना से जुड़ी हुई है
हीरा और मोती दो बैलों की कहानी मुंशी प्रेम चंद की कहानी है |
प्रस्तुत कहानी में लेखक ने मनुष्य तथा पशु के भावनात्मक सम्बन्धों को हीरा और मोती दो बैलों के माध्यम से व्यक्त किया है। झूरी नामक किसान के पास हीरा और मोती नाम के दो बैल थे |
जब दोनों बैलों को गया अपने घर जबरदस्ती लेकर चला जाता है| गया के घर में बैलों पर अत्याचार किए जाते थे | उनसे बहुत काम करवाए जाते थे| खाने को सुखा-रुखा खाना दिया जाता था| बैलों ने इस अत्याचार के लिए आजादी की लड़ाई लगी| उन्होंने अत्याचार सहने से अच्छा वहाँ से भाग निकलने की योजना बनाई| अपने मालिक के घर तक उन्हें पहुचंने में बहुत कष्टों का सामना करना पड़ा लेकिन वह अंत में अपने घर पहुंच गए|
यह कहानी हमें सिखाती है कि अत्याचार सहना बहुत बड़ा जुर्म है| हमें अपनी आज़ादी के लिए खुद ही लड़ना पड़ता है|
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