Hindi, asked by indrajeet0249, 3 months ago

आजादी के दौरान और बाद में पत्रकारिता का लक्ष्य क्या रहा है​

Answers

Answered by shaivisharma46
8

स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान दीनबंधु सीएफ एंड्रयूज ने लाला लाजपत राय से आग्रह किया कि वह अपना ध्यान भारत को एक ऐसा दैनिक पत्र देने के लिए केंन्द्रित करें, जो भारतीय जनमत के लिए वैसा ही करे जैसा कि सीपी स्काॅट के ‘मांचेस्टर गार्डियन’ ने ब्रिटिश जनमत के लिए किया। लाला लाजपत राय और उनके सहयोगियों ने सीएफ एंड्रयूज के राष्ट्रवादी सुझाव को सिर-माथे लिया और एक राष्ट्रवादी दैनिक पत्र के प्रकाशन के निमित्त जुट गए। शीध्र ही लाला लाजपत राय और उनके सहयोगियों ने अक्टुबर, 1904 में समाचार पत्र ‘द पंजाबी’ का शुभारंभ कर दिया। ‘द पंजाबी’ ने अपने प्रथम संस्करण से ही आभास करा दिया कि उसका उद्देश्य महज एक दैनिक पत्र बनना नहीं बल्कि ब्रिटिश हुकूमत से भारतमाता की मुक्ति के लिए देश के जनमानस को जाग्रत करना और राजनीतिक चेतना पैदा करना है। ‘द पंजाबी’ ने रुस की जार सरकार के विरुद्ध जापान की सफलता की ओर देश का ध्यान आकर्षित करने के साथ ही बंगाल में गर्वनर कर्जन द्वारा प्रेसीडेंसी को दो भागों में विभाजित करने तथा पंजाब में उपराज्यपाल इब्बटसन के भूमि तथा नहर कालोनी कानूनों के मसले पर देशवासियों को जाग्रत किया। ‘द पंजाबी’ ने यह भी सुनिश्चित कर दिया कि स्वतंत्रता आंदोलन में मीडिया की भूमिका और उसका सरोकार क्या होना चाहिए। ‘द पंजाबी’ के अलावा लाजपत राय ने यंग इंडिया, यूनाइटेड स्टेट आॅफ अमेरिका, ए हिंदूज इन्प्रेशंस एंड स्टडी, इंगलैंड डैट टू इंडिया, पोलिटिकल फ्यूचर आॅफ इंडिया जैसे ग्रंथों के माध्यम से जनता को आजादी की लड़ाई के लिए प्रेरित किया और राष्ट्रवादी पत्रकारिता की नींव डाली। इसी दौरान एक और घटना घटी जिससे पत्रकारिता का काला पक्ष उजागर हुआ। लाहौर के एक प्रमुख भारतीय समाचार पत्र के संपादक ने कुछ छात्रों के गुप्त नाम से प्रकाशित किए गए लेख की मूल पांडुलिपि गवर्नमेंट कालेज के प्रिंिसपल को सौंप दी। इस लेख से स्कूल प्रशासन बेहद नाराज हुआ और कठोरतापूर्वक छात्रों को प्रताड़ित किया। संपादक का यह कृत्य न सिर्फ पत्रकारिता के सिद्धांतों, मूल्यों और उत्तरदायित्वों के विरुद्ध था बल्कि युवाओं में अंगड़ाई ले रही आजादी और राष्ट्रप्रेम की भावना को कुचलने का प्रकटीकरण भी था। इस घटना से साबित हुआ कि उस दौरान मीडिया का एक वर्ग भारतीयता, आजादी और राष्ट्रवाद के विरुद्ध था। अच्छी बात यह है कि आज की तारीख में तमाम खामियों के बावजूद भी भारतीय पत्रकारिता अपने मूल्य व आदर्शों से लबरेज है। उसका लक्ष्य भारत निर्माण और समाज में एकता स्थापित करना है। यह तभी संभव होगा जब खबरों में पारदर्शिता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता होगी

mark my answer brainliest plz

Answered by rohitkumargupta
4

HELLO DEAR,

Answer:

आजादी के दौरान या उसके बाद पत्रकारिता का लक्ष्य पूर्ण रूप से समाज में घट रही घटनाओं को स्पष्टता पूर्वक, सरल आमतौर की भाषा में सभी जनता के समक्ष, निरपेक्ष भाव से प्रकट करें।

वस्तुतः कागज और मुद्रण का आविष्कार सर्वप्रथम चीन में हुआ और फिर यह कला यूरोप तक पहुंची। ऐसा माना जाता है कि चीन में ही सबसे पहला समाचार पत्र निकला जिसका नाम 'पैकिंग गजट' अथवा 'चिंताओं 'था। यूरोप में पाली प्रेस की स्थापना सन 1440 में हुई।

भारत में हिंदी पत्रकारिता जिस प्रकार विभिन्न चरणों में विकसित हुई उसी तरह विदेशों में भी प्रवासी भारतीयों द्वारा इसके विकास के लिए महत्वपूर्ण कार्य किए। विदेश में हिंदी पत्रकारिता का जन्म सन 1883 में माना जाता है। कहां जाता है कि लंदन से हिंदुस्तान नामक त्रैमासिक पत्र का प्रकाशन प्रारंभ हुआ था।

I HOPE IT'S HELP YOU DEAR,

THANKS.

Similar questions