Hindi, asked by krishmalik39, 10 months ago

आजादी के ऊपर उपदेश लिखिए​

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Answered by juhi6744
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Answer:

आज देश स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। यह आजादी हमें यूं ही नहीं मिली। इसके लिए न जाने कितने फांसी के फंदे पर झूले थे और न जाने कितनों ने गोली खाई थी, तब जाकर हमने यह आजादी पाई थी। देश ऋणी है उन क्रांतिवीरों का जिन्होंने देश को गुलामी की जंजीरों से मुक्त कराने के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया। परंतु दु:ख है इतिहास में कुछ खास लोगों को ही जगह मिली।

कुछ लोग त्याग, बलिदान और आजादी के लिए किए गए लंबे संघर्षों के बाद स्वतंत्र भारत में भी वह सम्मान और पहचान न पा सके जिसके वे हकदार थे। इन वीर सेनानियों में अनेक महिलाएं भी थीं जिन्होंने न केवल क्रांतिकारियों की तरह तरह से सहायता की बल्कि संगठनों व सभाओं का नेतृत्व भी किया। आइए जानें कुछ ऐसी ही वीरांगनाओं के बारे में जो इतिहास के पन्नों में कहीं खो गईं।

झलकारी बाई : झलकारी बाई का जन्म 22 नंवबर 1830 को झांसी के भोजला गांव में हुआ था। बचपन में ही उनकी मां की मृत्यु हो गई। पिता ने मां और पिता दोनों की भूमिका निभाते हुए उन्हें बड़े प्यार से पाला और घुड़सवारी व तीरंदाजी की शिक्षा दी। उनका विवाह रानी लक्ष्मीबाई की सेना के एक सैनिक के साथ हुआ। यहां वे रानी के संपर्क में आईं। रानी ने उनकी क्षमताओं से प्रभावित होकर उन्हें अपने महिला सैनिकों की शाखा दुर्गा दल में शामिल कर लिया। यहां उन्होंने तोप व बंदूक चलाना सीखा और दुर्गा दल की सेनापति बनीं। वे लक्ष्मीबाई की हमशक्ल भी थीं। शत्रु को धोखा देने के लिए कई बार वे रानी के वेश में भी युद्धाभ्यास करती थीं। अपने अंतिम समय में वे रानी के वेश में युद्ध करते हुए अंग्रेजों के हाथों पकड़ी गईं और रानी को किले से भागने का अवसर मिल गया। झलकारी बाई की गाथा आज भी बुंदेलखंड की लोकगाथाओं और लोककथाओं में अमर है।

Answered by tvssowndarya
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प्रतिवर्ष इस दिन भारत के प्रधानमंत्री लाल किले की प्राचीर से देश को सम्बोधित करते हैं। १५ अगस्त १९४७ के दिन भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने, दिल्ली में लाल किले के लाहौरी गेट के ऊपर, भारतीय राष्ट्रीय ध्वज फहराया था।[1] महात्मा गाँधी के नेतृत्व में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में लोगों ने काफी हद तक अहिंसक प्रतिरोध और सविनय अवज्ञा आंदोलनों में हिस्सा लिया। स्वतंत्रता के बाद ब्रिटिश भारत को धार्मिक आधार पर विभाजित किया गया, जिसमें भारत और पाकिस्तान का उदय हुआ। विभाजन के बाद दोनों देशों में हिंसक दंगे भड़क गए और सांप्रदायिक हिंसा की अनेक घटनाएं हुईं। विभाजन के कारण मनुष्य जाति के इतिहास में इतनी ज्यादा संख्या में लोगों का विस्थापन कभी नहीं हुआ। यह संख्या तकरीबन 1.45 करोड़ थी। भारत की जनगणना 1951 के अनुसार विभाजन के एकदम बाद 72,26,000 मुसलमान भारत छोड़कर पाकिस्तान गये और 72,49,000 हिन्दू और सिख पाकिस्तान छोड़कर भारत आए। hope my answer gives you happy my friend

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