'आजादी यानी अज्ञानी को ज्ञान' 'आजादी' कविता की इस पंक्ति द्वारा कवि क्या कहना चाहता है?
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कवि यहाँ पर कहना चाहता है कि आज़ादी यानी अज्ञानी को ज्ञान, ज्ञानी को कर्म, जीवन के लिए अनिवार्य साधन का होना भी आज़ादी है। अकेलेपन के कष्ट से मुक्त कर्मठ को बलिदान होना, भय से मुक्त होना भी आज़ादी है। करने वाले कभी मरते नहीं, वे सदैव जीवित रहते हैं, वे दूसरों को जीवन देते हैं और उनके द्वारा निरंतर याद किए जाते हैं।
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