Hindi, asked by sukanyaverma8306, 10 months ago

‘आज यह दीवार परदों की तरह हिलने लगी शर्त लेकिन थी कि ये बुनियाद हिलनी चाहिए।’ इन काव्य-पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए।

Answers

Answered by RvChaudharY50
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Answer:

कवि का कथन है कि वर्तमान काल में हमारे देश में सामाजिक जीवन में अनेक तरह का भेदभाव प्रचलित है, लोगों के बीच कई तरह की दीवारें खड़ी हैं और कई ऐसी समस्याएँ हैं जिनसे सामाजिकता का विघटन हो रहा है। इस कारण सामाजिक एकता की दीवारें भले ही परदों की तरह हिलने लग गई हैं, परन्तु जरूरत इस बात की है कि विभेद एवं अव्यवस्था के मूल कारण रूपी इन जर्जर दीवारों की जड़े हिलनी चाहिए। अतः बुरी दशा रूपी बुनियाद को हिलाकर ढहा देना चाहिए, ताकि समाज का नये ढंग से निर्माण हो सके तथा सही ढंग से बदलाव आ सके।

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