आजकल स्वदेश प्रेम को लोग अति राष्ट्रवाद कहते हैं लोगों की इस बात से आप कहां तक सहमत हैं
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आजकल स्वदेश प्रेम को लोग अति राष्ट्रवाद कहते हैं लोगों की इस बात से आप कहां तक सहमत हैं
आजकल स्वदेश प्रेम को लोग अति राष्ट्रवाद कहने लगे हैं। लोगों की इस बात से हम पूरी तरह सहमत नहीं है। देश प्रेम तो देश प्रेम ही होता है, किसी व्यक्ति में वह कम हो सकता है, तो किसी में अधिक हो सकता है। यदि किसी में अधिक देश प्रेम है तो उसे अति राष्ट्रवाद कहना उचित नहीं है।
हम तो बचपन से ही देश प्रेम की बातें पढ़ते सुनते आए हैं। हमारे विद्यालय में कोई भी समारोह होता था तो मंच पर जो भी प्रस्तुतियां दी जातीं थी, उनमें से अधिकतर प्रस्तुतियां देश प्रेम से संबंधित ही रहती थीं। चाहे वह कविता पाठ हो गीत गीत गाना हो या कोई लघु नाटिका की प्रस्तुति अथवा कोई भाषण हो। इस तरह हमारे मन में बचपन से ही स्वदेश प्रेम की भावना जग गई थी और अपने देश के प्रति प्रेम करना देश भक्ति का प्रदर्शन करना हम एक अच्छा सद्गुण मानते थे। ये एक ऐसा अहसास जिससे महसूस करके हमें बेहद गर्व की अनुभूति होती थी। हमारे मन में बचपन से अपने देश के प्रति कुछ अच्छा करने की भावना जागृत हो गई थी।
परन्तु आज की परिस्थितियां कुछ ऐसी बन गई हैं और कुछ ऐसे तत्व सक्रिय हो गए हैं जो देश प्रेम को अब अति राष्ट्रवाद कहने लगे हैं, जिससे नई पीढ़ी के मन में यह संदेश जा रहा है कि देश अपने स्वदेश के प्रति प्रेम करना गलत है, यह जहरीला राष्ट्रवाद है। हालांकि कुछ ऐसी घटनाएं हुई हैं, कुछ असामाजिक तत्व देश प्रेम के नाम पर हुड़दंग करते हैं, जिससे कुछ लोगों के मौका मिल जाता कि वे यह प्रचारित करें कि देश प्रेम अति राष्ट्रवाद है।
अपने देश के प्रति प्रेम करना हर किसी मनुष्य का कर्तव्य होता है। जिस तरह व्यक्ति को अपने परिवार से प्रेम होता है, वह अपने परिवार के सदस्यों की भलाई चाहता है, उसी तरह हर व्यक्ति को अपने देश को एक बड़ा परिवार मानकर उसे प्रेम करना चाहिए। देश के प्रति उसके कुछ कर्तव्य होते हैं। अपने देश से प्रेम करना कोई दिखावे की वस्तु नहीं है, इसलिये देशप्रेम की भावना रखना एक सद्गुण है, ना कि अति या जहरीला राष्ट्रवाद।
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