आजदी का विचार किस कठपुतली के मन में आया?
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बहुत दिन हुए हमें अपने मन के छंद छुए' इसका यह अर्थ है कि बहुत दिन हो गए मन का दुख दूर नहीं हुआ और न मन में खुशी आई अर्थात् कठपुतलियाँ परतंत्रता से अत्यधिक दुखी हैं। उन्हें ऐसा लगता है जैसे वे अपने मन की चाह को जान ही नहीं पातीं। पहली कठपुतली के कहने से उनके मन में आजादी की उमंग जागी।
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पहली कठपुतली की बात दूसरी कठपुतलियों को बहुत अच्छी लगी, क्योंकि वे भी स्वतंत्र होना चाहती थीं और अपनी पाँव । पर खड़ी होना चाहती थी। अपने मनमर्जी के अनुसार चलना चाहती थीं। पराधीन रहना किसी को पसंद नहीं। यही कारण था कि वह पहली कठपुतली की बात से सहमत थी।
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