आकार के आधार पर बैक्टीरिया जीवाणु के प्रकार बताइए
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जीवाणु एक एककोशिकीय जीव है। इसका आकार कुछ मिलिमीटर तक ही होता है। इनकी आकृति गोल या मुक्त-चक्राकार से लेकर छड़, आदि आकार की हो सकती है।
जीवाणुओं को सबसे पहले डच वैज्ञानिक एण्टनी वाँन ल्यूवोनहूक ने १६७६ ई. में अपने द्वारा ही बनाए गए एकल लेंस सूक्ष्मदर्शी यंत्र से देखा,[9] पर उस समय उसने इन्हें जंतुक समझा था। उसने रायल सोसाइटी को अपने अवलोकनों की पुष्टि के लिए कई पत्र लिखे।[10][11][12] १६८३ ई. में ल्यूवेनहॉक ने जीवाणु का चित्रण कर अपने मत की पुष्टि की। १८६४ ई. में फ्रांसनिवासी लूई पाश्चर तथा १८९० ई. में कोच ने यह मत व्यक्त किया कि इन जीवाणुओं से रोग फैलते हैं।[13] पाश्चर ने १९८९ में प्रयोगो द्वारा यह दिखाया कि किण्वन की रासायनिक क्रिया सूक्ष्म जीवों द्वारा होती है। कोच सूक्ष्मजैविकी के क्षेत्र में युगपुरूष माने जाते हैं, इन्होंने कॉलेरा, ऐन्थ्रेक्स तथा क्षय रोगो पर गहन अध्ययन किया। अंततः कोच ने यह सिद्ध कर दीया कि कई रोग सूक्ष्म जीवों के कारण होते हैं। इसके लिए १९०५ ई. में उन्हें नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।[14] कोच न रोगों एवं उनके कारक जीवों का पता लगाने के लिए कुछ परिकल्पनाएं की थी जो आज भी इस्तेमाल होती हैं।[15] जीवाणु कई रोगों के कारक हैं यह १९वीं शताब्दी तक सभी जान गए, परन्तु फिर भी कोई प्रभावी प्रतिजैविकी की खोज नहीं हो सकी।[16] सबसे पहले प्रतिजैविकी का आविष्कार १९१० में पॉल एहरिच ने किया। जिससे सिफलिस रोग की चिकित्सा संभव हो सकी।[17] इसके लिए १९०८ ई. में उन्हें चिकित्साशास्त्र में नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया। इन्होंने जीवाणुओं को अभिरंजित करने की कारगर विधियां खोज निकाली, जिनके आधार पर ग्राम स्टेन की रचना संभव हुई।[18]आधुनिक जीवाणुओं के पूर्वज वे एक कोशिकीय सूक्ष्मजीव थे, जिनकी उत्पत्ति ४० करोड़ वर्षों पूर्व पृथ्वी पर जीवन के प्रथम रूप में हुई। लगभग ३० करोड़ वर्षों तक पृथ्वी पर जीवन के नाम पर सूक्ष्मजीव ही थे। इनमें जीवाणु तथा आर्किया मुख्य थे।[19][20] स्ट्रोमेटोलाइट्स जैसे जीवाणुओं के जीवाश्म पाये गए हैं परन्तु इनकी अस्पष्ट बाह्य संरचना के कारण जीवाणुओं को समझने में इनसे कोई खास मदद नहीं मिली।