आकाश में चाँद और तारों को देखकर सीता जी ने क्या सोचा ?
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जी की चिंता का कारण यह था कि इतना समय बीतने पर भी रामचंद्र जी उन् ने सीता जी से रामचंद्र जी के यश का बखान करते हए कहा कि अब रात्रि जी ने आकाश के चाँद और तारों को देखकर सोचा कि कोई तारा टूटकर पृथ्वा प मिल सके। चंद्रमा भी आग के समान लग रहा है, किंत वह भी मेरी सहायता नहीं कर रहा है।
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जी की चिंता का कारण यह था कि इतना समय बीतने पर भी रामचंद्र जी उन् ने सीता जी से रामचंद्र जी के यश का बखान करते हए कहा कि अब रात्रि जी ने आकाश के चाँद और तारों को देखकर सोचा कि कोई तारा टूटकर पृथ्वा प मिल सके। चंद्रमा भी आग के समान लग रहा है, किंत वह भी मेरी सहायता नहीं कर रहा है।
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