आकाश में पंख ही पंख हो जाने से कवि का क्या अविप्राय है
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इस पंक्ति में कवि पक्षी के माध्यम से कहना चाहते हैं कि पक्षी स्वतंत्र रहकर क्षितिज की सीमा तक उड़ जाने की अपनी इच्छा व्यक्त करते हैं कि उड़ते-उड़ते या तो वह तो क्षितिज की सीमा हूँढ़ ही निकालेंगे या प्राण त्याग देंगे। पक्षियों के इस कथन से उनकी उन्मुक्त उड़ान के प्रति ललक व्यक्त हुई है।
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