५ (२) आकृति पूर्ण कीजिए । (iii) किरणों के खेलने का स्थान ..
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किरणों के खेलने का स्थान ..
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किरणों के खेलने का स्थान जल , थल, घास
" चारु चंद्र की चंचल किरणें खेल रही है जल, थल में " ।
- उपुर्युक्त पंक्ति " पंचवटी " काव्य खंड की कविता से ली गई है।
- इस कविता के कवि है राष्ट्र कवि मैथिलीशरण गुप्तजी।
- गुप्तजी ने पंचवटी के प्राकृतिक सौंदर्य को चित्रित किया है।
- इस पंक्ति का भावार्थ यह है कि सुंदर चंद्रमा अपनी किरणें जल तथा थल में फैला रहा है। पृथ्वी व आकाश में स्वच्छ चांदनी बिछी हुई है।
- घास की नोकें पृथ्वी के सुख से रोमांचित हो उठी हैं।
- पेड़ पौधे मंद हवा के झोंकों से मस्त झूम रहे हैं।
- वातावरण आनंदित हो गया है।
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