Hindi, asked by SurendarSingh, 11 months ago

'आखिरी चट्टान तक' यात्रा वृतान्त में परिवेश का जीवन्त निरूपण किया गया है सिद्ध कीजिए।

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Answered by AbsorbingMan
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Answer:

'आखिरी चट्टान तक' यात्रा वृतान्त में परिवेश का जीवन्त निरूपण किया गया है। यात्रा के दौरान उत्पन्न स्वाभाविक ‘अतिरिक्त भावुकता’ लिखते समय तटस्थता में परिवर्तित हुई और मोहन राकेश ने यात्रा का गत्यात्मक मूल्यांकन प्रस्तुत किया। पुस्तक पढ़ते समय अनुभव होता रहता है कि हम एक विलक्षण बुद्धिजीवी की बाह्य और अन्तर्यात्रा के सहपथिक हैं।

Explanation:

ज़िन्दगी की उठा पटक से दूर - बेहद हल्का फुल्का सुकून देने वाला यात्रा – वृतांत । न कोई ऐतिहासिक वर्णन और न ही स्थानीय गाथा - बल्कि जो राह में मिलता चला वही पात्र बन गया।

वर्णन इतना प्रवाहमयी है कि पठन में एक लय बनी रहती है। किताब को जल्दी ख़तम करने की चाह नहीं , बार -बार उन्ही पंक्तियों को पढ़ने की इच्छा होती है।

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