आखिर एक दिन सबकी नज़रों से
बचकर बकरी बाड़े से बाहर नि, कूदती, फलाँगती दिन भर पहाड़ पर चरती रही। बहते झरने से पानी पीने का मज़ा कुछ और
ही था। एक पेड़ के नीचे वह तनिक विश्राम के लिए रुक गई। उस पेंड़ पर बैठी कोयल की आवाज
सुन कर वह प्रसन्न हो उठी। रह रहकर उसके मन में भेड़िये का भी ख्याल आ रहा था, आखिर वह
भेड़िया देखने में कैसा होगा? वह किधर से आएगा? उसके सामने आने पर वह क्या करेगी? ये सभी
प्रश्न उसके मस्तिष्क में घूम रहे थे कि उसी पेड़ पर बैठा कौआ काँव-काँव करने लगा। तभी अचानक
सामने से वह निर्मम भेड़िया दबे पाँव आता दिखाई दिया। उसकी आक्रामक चाल, लाल आँखें और लार
टपकाती जीभ देखकर बकरी उसका इरादा समझ गई।
क) बकरी बाड़े से निकल कर कहाँ गई?
ख) बकरी दिन भर क्या करती रही ?
ग्) उसके मन मे कैसे विचार उत्पन्न हो रहे थे
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बकरी बाड़े से निकल कर पहाड़ पर चरती रही
2. बकरी दिन भर पहाड़ पर चरती रही।
3. रह रहकर उसके मन में भेड़िये का भी ख्याल आ रहा था, आखिर वह
भेड़िया देखने में कैसा होगा? वह किधर से आएगा? उसके सामने आने पर वह क्या करेगी? ये सभी
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sorry don't know sorry about it sorry
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