आखिर क्यों नहीं होती भारतीय रुपयों पर भगत सिंह, चंद्रशेखर और सुभाष की तस्वीर?
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दोस्तों जैसा कि हम सभी को मालूम है भारतीय रुपयों पर महात्मा गांधी की तस्वीर होती है | बहुत कम लोगों को मालूम होगा कि भारतीय रुपयों पर छपाने वाली गांधी जी की तस्वीर असली है | यह तस्वीर सन 1946 में लार्ड फ्रेडरिक विक्ट्री हाउस में ली गयी थी | लेकिन हम सभी के मन में यह प्रश्न ज़रूर उठा होगा कि भारतीय रुपयों पर महात्मा गांधी की ही तस्वीर क्यों लगाईं जाती है और अन्य स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की क्यों नहीं ? आइये जानते हैं |
सन 1987 में महात्मा गांधी की तस्वीर को वॉटरमार्क के ही रूप में प्रयोग किया जाता था | भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा महात्मा गांधी के चित्र वाले नोट सन 1996 में चलन में आए | भारतीय रुपयों पर महात्मा गांधी की ही तस्वीर को लेकर कई बार विवाद उठा और सभी ने यही प्रश्न किया कि हमारे भारत की आज़ादी में अन्य भी कई स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने अपने प्राणों की आहूति दी, लेकिन उनकी तस्वीर को एक भी नोट पर नहीं छापा गया |
इसमें विद्वानों का तर्क यह था कि महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता के रूप में देखा जाता है | उस समय उन्हें राष्ट्र का चेहरा माना जाता था और इसी कारण उन्हें राष्ट्रपिता की उपाधि मिली थी |विद्वानों के अनुसार यदि नोटों पर अन्य स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के चित्र छापे जाएंगे तो क्षेत्रीय विवाद भी पैदा हो सकता है | कुछ दिनों पहले वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि महात्मा गांधी के अलावा अन्य कोई भी भारत के स्वभाव का प्रतिनिधित्व नहीं करता |
दोस्तों, लेकिन सवाल फिर भी वही है कि इस भारत देश के आज़ाद होने में भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद और सुभाषचंद्र बोसे जैसे कई अन्य शूरवीरों ने अपने प्राणों की आहूति दी है | तो केवल एक ही व्यक्ति की तस्वीर होना कितना उचित है यह तो आज भी एक चर्चा का विषय है |
सन 1987 में महात्मा गांधी की तस्वीर को वॉटरमार्क के ही रूप में प्रयोग किया जाता था | भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा महात्मा गांधी के चित्र वाले नोट सन 1996 में चलन में आए | भारतीय रुपयों पर महात्मा गांधी की ही तस्वीर को लेकर कई बार विवाद उठा और सभी ने यही प्रश्न किया कि हमारे भारत की आज़ादी में अन्य भी कई स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने अपने प्राणों की आहूति दी, लेकिन उनकी तस्वीर को एक भी नोट पर नहीं छापा गया |
इसमें विद्वानों का तर्क यह था कि महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता के रूप में देखा जाता है | उस समय उन्हें राष्ट्र का चेहरा माना जाता था और इसी कारण उन्हें राष्ट्रपिता की उपाधि मिली थी |विद्वानों के अनुसार यदि नोटों पर अन्य स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के चित्र छापे जाएंगे तो क्षेत्रीय विवाद भी पैदा हो सकता है | कुछ दिनों पहले वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि महात्मा गांधी के अलावा अन्य कोई भी भारत के स्वभाव का प्रतिनिधित्व नहीं करता |
दोस्तों, लेकिन सवाल फिर भी वही है कि इस भारत देश के आज़ाद होने में भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद और सुभाषचंद्र बोसे जैसे कई अन्य शूरवीरों ने अपने प्राणों की आहूति दी है | तो केवल एक ही व्यक्ति की तस्वीर होना कितना उचित है यह तो आज भी एक चर्चा का विषय है |
darshanajumbad:
heeee what is meaning of oooooo?
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