आलोक धनवा के कितने संग्रह उपलब्ध थे
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¿ आलोक धन्वा के कितने संग्रह उपलब्ध है ?
✎... आलोक धन्वा के केवल एक कविता संग्रह है, जिसका नाम है, ‘दुनिया रोज बनती है’।
आलोक धन्वा ने 40 से अधिक कविताओं की रचना की है। उनकी पहली कविता 1992 में एक पत्रिका में प्रकाशित हुई। आलोक धन्वा का प्रसिद्ध संग्रह ‘दुनिया रोज बनती है’ था, जो उनका पहला संग्रह था।
आलोक धन्वा हिंदी के एक ऐसे कवि रहे हैं, जिन्होंने हिंदी कविता को एक अलग विशिष्ट पहचान दी। उनका जन्म 2 जुलाई 1948 को बिहार के मुंगेर नगर में हुआ था।
उनकी अनेक प्रसिद्ध कविताएं हैं, जिनमें 'पतंग', 'गोली', 'दागो पोस्टर', 'जनता का आदमी', 'कपड़े के जूते', 'अचानक तुम आ जाओ', 'भागी हुई लड़कियां', 'एक जमाने की कविता', 'पगडंडी', 'अपनी बात भूल पाने की लड़ाई', 'जिलाधीश', 'फर्क', 'उतने सूर्यास्त उतने आसमान', 'ब्रूनों की बेटियां' आदि के नाम प्रमुख हैं।
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पतंग नामक कविता का केंद्रीय भाव अपने शब्दों में लिखिए।
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