आलेख लिखे युवाओं में बढ़ती नशे की प्रवृति 150 शब्द
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निज प्रतिनिधि, कटिहार : जिले के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में युवाओं में नशे की प्रवृत्ति खतरनाक ढंग से बढ़ी है। विभिन्न रूपों रूपों में नशे के आदि हो चुके युवक उसे प्राप्त करने के लिए किसी भी हद तक जा पहुंचते हैं। इससे सामाजिक, पारिवारिक समस्याओं के साथ-साथ छिनतई, चोरी, छेड़छाड़, व्यभिचार की समस्याएं सामने आती हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों में भी गली-गली शराब की दुकाने व सिगरेट, पान मसाला, गुटाखा आदि सहजता और सुगमता से उपलब्ध हो जाते हैं। ग्रामीण स्तर पर महुए के साथ अन्य रसायन के मिश्रण से तैयार होने वाली देशी शराब सस्ती और आसानी से उपलब्ध हो जाने से इसके लिए लोगों को भटकना नहीं पड़ता है।
शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूली बच्चों और स्कूली छात्राओं, महिलाओं के बीच भी गुटखा, पान मसाला, धूम्रपान की लत बढ़ने लगी है। बेरोजगारी के आलम में मानसिक टूटन के शिकार लोग भी नशे की लत अपनाने लगे हैं। शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के दर्जनों युवक नशे की लत के कारण विभिन्न रोगों का शिकार होकर अकाल कलवित हो चुके हैं। दूसरी ओर नशा मुक्ति के लिए चलाए जा रहे अभियान व सामाजिक संगठनों द्वारा इस प्रवृत्ति की रोक थाम की दिशा में किए जा रहे प्रयास भी अब तक नाकाफी साबित हुए हैं। इस दिशा में नशाबंदी और नशा विमुक्ति को लेकर व्यापक जन जागरूकता अभियान चलाए जाने की आवश्यकता है। चिकित्सकों के अनुसार नशे के रूप में अलकोहल के अत्यधिक सेवन से लीवर स्यानुतंत्र, दृष्टिहीनता की समस्या उत्पन्न हो सकती है। दूसरी ओर गुटखा, पान मसाला, कफ सीरफ, सुलेशन के सेवन से मुंह व फेफड़े का कैंसर जान लेवा साबित हो सकता है।
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फैशन बन गया है नशा
देश का युवा वर्ग आज नशे की गिरफ्त में फंसता जा रहा है। इसका एक कारण है सहनशक्ति की कमी। युवा आजकल बहुत जल्दी अपना हौसला खो देते हैं, जिसका परिणाम यह होता है कि वे डिप्रेशन में चले जाते हंै और फिर वे नशे की गिरफ्त में फंस जाते हैं। माता-पिता को चाहिए कि वे अपने बच्चों को हालात से लडऩा सिखाएं और उन्हें मजबूत बनाएं। दूसरा बड़ा कारण ये है कि आजकल नशा फैशन बनता चला जा रहा है। गलत संगत में पड़कर नशे को फैशन मान लेना युवा वर्ग की सबसे बड़ी कमजोरी है। दूसरों की देखा-देखी भी लोग नशा करने लग जाते हैं। अपने आपको आधुनिक बनाने के लिए नशे का सहारा लेने लगते हैं, जो कि गलत है। युवा वर्ग की कमजोर सोच का फायदा उठाते हुए नशे के व्यापार में लगे हुए लोग उन्हें नशे के लिए प्रेरित करने लग जाते हैं। इसके लिए जरूरी है कि युवा अपने आपको मजबूत बनाएं और गलत संगति से बचें। कोई भी परेशानी अपने माता-पिता के साथ में शेयर जरूर करें।
-सोनिका हेडाऊ बैतूल मध्यप्रदेश
सरकार ने बढ़ाई शराब की लत
वर्तमान समय में युवा पीढ़ी का नशे में चूर रहना एक फैशन सा बन गया हैं। न केवल युवक, अपितु संभ्रात परिवार की लड़कियां भी इसकी आदी हो रही हैं। नशे की लत का शिकार युवा न केवल अपने परिवार के लिये अभिशाप बन जाता है, अपितु समाज व राष्ट्र के लिए भी कलंक साबित होता है। सबसे शर्मनाक पहलू तो यह हैं की सरकारों ने राजस्व की आड़ मे शराब सेवन को बढ़ावा देकर युवा पीढ़ी के भविष्य से खिलवाड़ ही किया है। ऐसी हालत में नशे के गर्त में डूबे युवाओं को कौन बचाएगा?
-गायत्री चौहान, जोधपुर
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संगत का रहे ध्यान
युवा वर्ग में नशे की बढ़ती प्रवृत्ति वास्तव में चिंताजनक है। युवा उचित मार्गदर्शन के अभाव में नशा करते हैं। किशोरावस्था के बालकों पर खास ध्यान दिया जाए। उनकी संगत पर निगाह रखी जाए। संगत ठीक हो तो बच्चे नशे के जाल से बच जाते हैं।
-करण राज सोलंकी, तखतगढ़
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नशे तक पहुंच हुई आसान
युवाओं में बढ़ती नशे की प्रवृत्ति के अनेक कारण हैं। नशे की उपलब्धता एवं पहुंच आसान होने से भी नशे की प्रवृत्ति बढ़ी है। संयुक्त परिवार का विघटन होने से भी युवाओं को अधिक स्वतंत्रता मिली है। मीडिया ने भी नशे के कारोबार को प्रचारित किया है। वर्तमान में बढ़ती बेरोजगारी में मानसिक अवसाद दूर करने के लिए भी युवा नशे का सहारा लेते हैं। अत: इन सब पर ध्यान देकर हमें समस्या का निराकरण करना होगा।
-सत्तार खान कायमखानी, कुचेरा, नागौर
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नशा बना शान का प्रतीक
आजकल खासकर युवा वर्ग में नशे कि प्रवृत्ति लगातार बढ़ रही है, जो चिंताजनक है। इसका मुख्य कारण है कि आजकल समाज में नशे को शान का प्रतीक समझा जाने लगा है। युवा वर्ग भी नशा करने में अपनी शान समझता है और वह अन्य साथियों को भी इस तरह प्रेरित करता है कि उन्हें भी नशा करना प्रतिष्ठा का विषय लगने लगता है। इसके साथ ही नशा माफियाओं के बढ़ते प्रभाव और नेटवर्क से नशीले पदार्थ आसानी से उपलब्ध होने लगे हैं।
-हनुमान बिश्नोई, बाड़मेर
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परिवार जन ध्यान रखें
खराब संगत, सामाजिक रिश्तों में दूरी व अकेलेपन का अधिक होना युवा वर्ग में नशे की प्रवृत्ति को बढ़ाते हैं। परिवारजन जब अपने बच्चों पर ध्यान नहीं देते। इससे बच्चे नशे के जाल में उलझ जाते हैं।
-आनंद सिंह बीठू, सींथल, बीकानेर
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युवाओं को संभालें
आधुनिक युग में जहां हम तकनीकी रूप से सुविधा संपन्न बनते जा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर देश की युवा पीढ़ी अवसाद और तनावग्रस्त होती जा रही है। युवाओं में बढ़ती बेरोजगारी, अभिभावकों की अपेक्षाओं का भार और प्रतिस्पर्धा में पिछडऩे का डर उसे अवसाद की तरफ धकेलता है। बढ़ती महत्त्वाकांक्षा, आपसी सहयोग की कमी, अपनों से बड़ों से दूरी समस्या की जड़ है। युवाओं को समय-समय पर परामर्श देकर उनको संभाला जा सकता है।
-डॉ.अजिता शर्मा, उदयपुर
अवसाद है मुख्य वजह
बेरोजगारी, आधुनिक दिखने का भ्रम, प्रेम मं हताशा, सद् शिक्षा का अभाव, भ्रामक विचारधाराओं में उलझना, सामाजिक एवं पारिवारिक अनुशासन के प्रति विद्रोह की भावना, हाईप्रोफाइल जीवनशैली की लालसा जैसे अनेक कारण अवसाद की वजह हैं। इससे युवाओं में नशे की प्रवृत्ति बढ़ रही है। युवा अपनी क्षमता को पहचानें, दूसरों से अपनी तुलना ना करें। नशे में खो जाना कायरता है। खेलों से जुड़ें। परोपकार के काम करें। इसी से अच्छे समाज का निर्माण होगा।
-नरेन्द्र कुमार शर्मा, जयपुर
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पाश्चात्य संस्कृति का बढ़ता प्रभाव
युवा वर्ग में नशे की बढ़ती प्रवृत्ति का अहम कारण पाश्चात्य संस्कृति के प्रभाव से बदलता कल्चर है। आज समाज में भौतिकता हावी होती जा रही है। दूसरा अहम कारण संयुक्त परिवार का टूटना भी है। आज एकल परिवार की वजह से बच्चों को वह प्यार व संस्कार नहीं मिल पाते, जिनकी अपेक्षा होती है। ऐसे में एकाकीपन को दूर करने के लिए बच्चे मोबाइल, इंटरनेट आदि से जुड़ जाते हैं। साथ ही नशे की लत के शिकार भी हो जाते हैं। युवाओं को माता-पिता के प्रेम व नैतिक शिक्षा की आवश्यकता है। साथ ही सरकार को भी मादक पदार्थों की बिक्री पर सख्ती से रोक लगानी चाहिए, तभी युवा पीढ़ी को बचाया जा सकेगा ।
-आजाद कृष्णा राजावत, निहालपुरा
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जागरूकता अभियान की जरूरत
युवाओं में नशे की बढ़ती प्रवृत्ति को रोकने के लिए सरकार को नशे से संबंधित सामानों पर पूर्णत: प्रतिबंध लगाना चाहिए। सोशल मीडिया, प्रिंट मीडिया व सामाजिक संस्थाओं के साथ मिलकर जागरूकता अभियान चलाया जाना चाहिए और युवाओं में जो नशे की प्रवृत्ति बढ़ रही है, उसे पूर्णत: खत्म करने का प्रयास करना चाहिए।
-आलोक वालिम्बे, बिलासपुर, छत्तीसगढ़
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