आली रे मेरे नैणा बाण पड़ी। चित्त चढ़ो मेरे माधुरी मूरत उर बिच आन अड़ी। कब की ठाढ़ी पंथ निहारूं अपने भवन खड़ी॥ कैसे प्राण पिया बिन राखूं जीवन मूल जड़ी। मीरा गिरधर हाथ बिकानी लोग कहै बिगड़ी॥
PLEASE GIVE भावार्थ of the para above.
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i don't know
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