aalas par dohe in hindi
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Hey mate
आलस पर कबीर दास जी का एक दोहा है :
भक्ति निसैनी मुक्ति की, संत चढ़े सब धाय।
जिन जिन मन आलस किया, जनम जनम पछिताय ।।
इस दोहे से कबीर दास जी कहना चाहते हैं कि भक्ति का मूल साधन भक्ति है इसलिए साधु, जन और ज्ञानी पुरूष इस मुक्ति रूपी साधन पर दौड़कर चढ़ते हैं। परंतु जो लोग आलस करते हैं और भक्ति नहीं करते हैं उन्हें जनम जनम पछताना पड़ता है क्योंकि ऐसा अवसर बार बार नहीं आता है।
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