आलम आरा फम क कोई पांच वशषे ताएं लखो
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आलमआरा (विश्व की रौशनी) 1931 में बनी हिन्दी भाषा और भारत की पहली सवाक (बोलती) फिल्म है। इस फिल्म के निर्देशक अर्देशिर ईरानी हैं। ईरानी ने सिनेमा में ध्वनि के महत्व को समझते हुये, आलमआरा को और कई समकालीन सवाक फिल्मों से पहले पूरा किया। आलम आरा का प्रथम प्रदर्शन मुंबई (तब बंबई) के मैजेस्टिक सिनेमा में 14 मार्च 1931 को हुआ था।[1] यह पहली भारतीय सवाक इतनी लोकप्रिय हुई कि "पुलिस को भीड़ पर नियंत्रण करने के लिए सहायता बुलानी पड़ी थी
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Answer:
- आलम आरा भारत की पहली सवाक फिल्म थी।
- यह सेल्युलाइड पर ध्वनि लेकर आया, जिससे मौन युग का अंत हुआ।
- आलम आरा 14 मार्च 1931 को रिलीज़ हुई और बॉक्स ऑफिस पर अच्छा प्रदर्शन किया।
- सफलताओं के अलावा, फिल्म को भारतीय फिल्म उद्योग और देश की पहली ध्वनि फिल्म के रूप में अपनी स्थिति के साथ अर्देशिर ईरानी के करियर के लिए एक बड़ी सफलता भी माना जाता था।
- इस दिन वर्ष 1931 में, भारत में मौन युग के अंत को चिह्नित करते हुए पहली भारतीय बोलती फिल्म, आलम आरा रिलीज़ की गई थी। यह फिल्म दे दे खुदा के नाम पर गाने के साथ पार्श्व गायन की शुरुआत करने वाली पहली फिल्म थी।
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