आलसी मित्र विषय पर कहानी
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किसी गाँव में सोनू और मोनू दो आलसी रहते थे। दोनों को कोई भी काम करने में बहुत कठिनाई होती थीं। एक दिन वे जामुन के एक पेड़ के नीचे पड़े हुए थे। अचानक पेड़ से एक जामुन टपका और सोनू की छाती पर आ पड़ा उसने मोनू से कहा-'' भाई, यह जामुन उठाकर मेरे मुँह में डाल दो।
Explanation:
किसी गाँव में सोनू और मोनू दो आलसी रहते थे। दोनों को कोई भी काम करने में बहुत कठिनाई होती थीं। एक दिन वे जामुन के एक पेड़ के नीचे पड़े हुए थे। अचानक पेड़ से एक जामुन टपका और सोनू की छाती पर आ पड़ा उसने मोनू से कहा-'' भाई, यह जामुन उठाकर मेरे मुँह में डाल दो।
देखूँ तो, कैसा है ?''
मोनू बोला- ''अरे, कैसे उठूँ, कुत्ता मेरा मुँह चाट रहा है। पहले तुम इसे हटा दो। दोनों आलसी चुपचाप लेटे रहे। थोड़ी देर में एक ऊँटवाला उधर से जा रहा था। जब वह उनके पास से गुजरा तो, सोनू ने उससे कहा- ''ओ ऊँटवाला भाई, जरा इधर आना।'' ऊँटवाला आया। उसने पूछा- ''क्या बात है ?''
सोनू बोला- ''अरे भाई! मेरी छाती पर पड़ा हुआ जामुन उठाकर मेरे मुँह में डाल दो। यह सुनकर ऊँटवाले को बड़ा आश्चर्य हुआ। उसने ऐसा आलसी आदमी पहले कभी नहीं देखा था। उसने कहा- ''क्या इसी काम के लिए तुमने मुझे ऊँट पर से उतारकर बुलाया था? अरे! तुम बड़े आलसी हो।''
सोनू ने कहा- ''तुम कम आलसी हो, जो दूर से आकर भी इतना छोटा-सा काम नहीं कर सकते।'' इस पर ऊँट वाले ने कहा- ''तुम जैसे आलसी व्यक्ति की तो डंडे से जमकर पिटाई होनी चाहिए।'' तभी मोनू भी बोला- ''हाँ ऊँटवाले भाई! इसकी खूब पिटाई करना। यह बड़ा आलसी है।
बहुत देर तक कुत्ता मेरा मुँह चाटता रहा, पर इसने हटाया नहीं।'' ऊँटवाला यह सुनकर दंग रह गया। अब उससे रहा न गया। उसने अपने डंडे से उनकी खूब पिटाई की और उन्हें तभी छोड़ा जब उन्होंने कसम खाई कि अब वे आलस नहीं करेंगे। ऊँटवाले ने जाते समय उनसे कहा- ''जो हाथ-पैर नहीं हिलाता, भगवान भी उसका भला नहीं करते।''
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