आलस्य - सबसे बड़ा शत्रु
सुंदर गाँव नाम का एक नगर था। वह नगर बड़ा ही सधन था। गाँव में मानो प्रकृति देवता का वरदान था। धरती
सुजलाम्-सुफलाम् थी। धान-अनाज की कोई कमी नहीं थी, लेकिन नगर के लोग बड़े आलसी थे।
एक बार ऐसा हुआ कि नगर के बाहर एक रास्ता था। रास्ते के बीचों-बीच एक बड़ा-सा पत्थर पड़ा हुआ था। उस
रास्ते से लोग आते-जाते थे। उनमें से कई लोगों ने उस पत्थर की ठोकर खाई। कई लोगों को पत्थर की ठोकर से चॉट भी ज
आई। लोग गिरत-टकराते थे, पर अनदेखा करके निकल जाते थे। किसी ने भी उस पत्थर को रास्ते से उठाकर एक तरफ़
नहीं हटाया।
एक मज़दूर उसी रास्ते से मजदूरी करने जा रहा था। उसका नाम था दीनानाथ। दीनानाथ को पत्थर की ठोकर
लगनेवाली थी, परंतु वह बच गया। उसने सोचा, “कितने लोगों को इस पत्थर की ठोकर लगती होगी। इसे रास्ते से हटा
देना चाहिए।" उसने ज़ोर लगाकर पत्थर हटाया और रास्ते की एक तरफ़ कर दिया। पत्थर जब उसने हटाया तब पत्थर
के नीचे एक छोटा-सा गढा था। उसमें एक थैला रखा हुआ था। उसने थैला खोलकर देखा तो उसमें सोने के सिक्के के
साथ एक चिट्ठी भी थी। चिट्ठी में लिखा था, “पत्थर हटाने का इनाम'। दीनानाथ के किए हुए काम के उपलक्ष्य में नगर
के मुखिया ने एक विशेष सभा बुलाई जिसमें नगर के सभी लोग उपस्थित थे। नगर के मुखिया ने उस विशेष सभा में
दीनानाथ के परोपकारी भावना के बारे में और उसके परिश्रमी स्वभाव के बारे में गुणगान किया तथा उसका सम्मान
किया।
जब नगर के उन उपस्थित लोगों को इस बात का पता चला तो उन्हें अपने आलस्य पर बहुत पछतावा हुआ और शर्म
भी आई।
सीख : (१) परिश्रम और परोपकार का फल अच्छा ही मिलता है।
(२) आलस्य से बड़ा नुकसान होता है। जो मेहनत और दूसरों की सेवा करता है, उसे अवश्य अच्छा फल
है
मिलता है।
Answers
Answered by
2
SOO NICE STORY
LOVED IT
Answered by
0
Answer:
jhkubihjjvbjvbjjbb
Explanation:
hhghugjubighyfhtxwwtyiknbxs
Similar questions
Business Studies,
1 month ago
Computer Science,
3 months ago
Math,
3 months ago
Science,
9 months ago