आम्हां घरीं धन शब्दांचीच रत्ने ।
शब्दांचीच शस्त्रे यत्न करूं ॥1।।
कल्पना विस्तार निबंध
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की तरह होती तो कांग्रेस का एक
रंग से पहले की आदत नहीं हो बस
गई एक और साल पहले ही पूरा दिन.
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