आमुख में शिक्षा का क्या महत्व है
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शिक्षा शब्द का अर्थ है ज्ञानार्जन करना, किसी कार्य के योग्य होने या निष्णात होने की इच्छा। पशुओं और मनुष्यों में यह अंतर है कि मनुष्यों में परमेश्वर ने पशुओं की अपेक्षा स्वाभाविक ज्ञान अधिक दिया है। बहुत से पशु चाहे रेगिस्तान में जन्मे हों व पानी का तालाब तक न देखा हो, परंतु नदी में छोड़ते ही तैरने लगते हैं, जबकि नाविक के बेटे को तैरना सीखना पड़ता है। शिक्षा जीवन का वह महत्वपूर्ण अंग है जो हमें बचपन से लेकर वृद्धावस्था तक अनुशासित, संयत और प्रगतिशील बनाए रखती है। शिक्षा से मनन शक्ति, चेतना, सद्बुद्धि, विचारशीलता तथा ज्ञान की प्राप्ति होती है। प्राचीन शिक्षा पद्धति में धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को जीवन का लक्ष्य माना गया है।
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अंग्रेजी में इंट्रोडक्शन का लघु रूप इंट्रो हैं| अमेरिकी पत्रकारिता में इसे लीड कहा जाता है| हिंदी में इसे आमुख या मुखड़ा कहा जाता है| सन 1880 के पूर्व के पत्रों में कालक्रम से घटना का विवरण दिया जाता था |सर्वप्रथम एडमिन एल सुमन ने आमुख द्वारा आकर्षक समाचार रचना पर ध्यान दिया| समाचार का पहला अनुच्छेद जिसमें संवाद का सर्वत्र निहित हो, आमुख कहलाता है| क्या,कब,कहां,क्यों, किसने और कैसे और कैसे की तुलना में सीधे-सपाट और छोटे वाक्यों में पाने के लिए आमुख का प्रयोग किया जाता है|यह पूरे समाचार का प्रदर्शन कक्ष है जिसमें कथन का परिचय प्राप्त होता ही है, साथ में पाठकों को आकर्षित किया जाता है|आमुख तो समाचार दुर्ग का परिवेश द्वार होता होता है| आमुख या लीड लेखन में निम्न प्रक्रियाएं अपनाई जाती है :-
1.संवाद के कब,कहां,कैसे,और किसकी की खोज | 2.आमुख में समाहित किए जाने वाले तथ्यों का निर्णय समाचार के मूल तत्व का चयन| 3.मूल तत्व एवं महत्वपूर्ण सूचनाओं की प्रस्तुति| 4.आमुख की पूर्णता और सुस्पष्टता की जांच|
समाचार का पहला आकर्षण उसका शीर्षक होता है| लेकिन शीर्षक द्वारा उत्पन्न आकर्षण यदि प्रथम अनुच्छेद नहीं बनाए रखा तो समझिए समाचार लिखना बेकार है |पहला अनुच्छेद समाचार की खिड़की है यदि इसे खोल कर पाठक ने भीतर प्रवेश करने की उत्सुकता जागी तो वह सारा समाचार बिना कोई रुकावट पढ़ जाएगा,यदि नहीं जागी तो वह प्रथम पैरा को अरुचिकर पाकर अन्य समाचारों की ओर चल देगा|
समाचार में प्रस्तुत विषय का परिचय यदि प्रदर्शन कक्ष की तरह पहले पैरों में ही करा दिया जाए और वह पाठक को अच्छा लगे तो वह सामग्री बिक जाएगा|मानव-मानव में भेद देश काल के अंदर आदि के कारण जो इंट्रो किसी एक परिवेश में श्रेष्ठ हो सकता है वहीं किसी दूसरे परिवेश में निकृष्ट कहा जा सकता है| समाचार पत्रों का भी अलग-अलग दृष्टिकोण होता है और पाठकों की भी विभिन्न श्रेणियां|इसलिए एक ही नगर के पांच पत्र किसी समाचार विशेष के प्रति प्रायः उतने ही प्रकार आमुख के लिखते हैं| फिर भी अच्छे इंट्रो के कुछ सामान्य मापदंड है जिन्हें सर्वत्र अपनाया जाना चाहिए|सफल आमुख वह है जो न्यूनतम आवश्यक शब्दों में समाचार का परिचय दें और जिसे सरसरी तौर पर पढ़ने पर भी कठिनाई ना हो|
ऐसा आमुख लिखना आसान नहीं परंतु एक बार सही इंट्रो लिखा गया तो शेष समाचार बनाना कठिन नहीं होता है|समाचार लिखने की क्षमता बहुत कुछ इस बात पर निर्भर करती है कि यह किस खूबी से लिखा जा रहा है|